Monday, May 23, 2011

The Journey From Bicycle To Plane


प्यार वो नहीं जिसमे जीत या हार हो , प्यार वो नहीं जो हर वक़्त तैयार हो 
प्यार तो वो है जिसमे किसी के आने की उम्मीद ना, हो लेकिन फिर भी उसका इंतज़ार हो........................
प्यार और इंतज़ार का कनेक्शन बहुत पुराना रहा है पता था की हमारे ऑफिसर जी नहीं आने बाले हैं पर फिर भी इंतज़ार करने की जिद सी थी I बांद्रा वेस्ट प्लेटफ़ॉर्म के तीन घंटे ने जैसे अब तक की सारी यात्राब्रित्ति ही दिखा दी, जिंदगी के अब तक का सबसे बोझिल सफ़र जिसे हम SUFFER कर रहे थे I पहले तो मूड आया था की जी भर के उसे गालियाँ देती, पर जिसे प्यार करते है उसे कोई चोट कैसे पंहुचा सकते है तो उसकी तस्बीर बना डालीI जिंदगी के दो पहलु थे एक पे हम वहाँ थे  जहाँ पे हमारे सारे अपने हैं और दुसरे पहलु में वहाँ जहाँ पे हमारे ऑफिसर जी और  कुछ वैसे पराये जो पराये हो के भी अपने थेI सारे दोस्त जा चुके थे और हमें भी चलने को कहा पर हमारा मन जाने किस रास्तों को याद कर रहा थाI बचपन में हरेक शुक्रबार को एक बूढ़े बाबा आया करते थे, कोई सूफी संत थेI बड़ी सी सफ़ेद दाढ़ी थी उनकी, सर पे उजली गोल टोपी एक हाथ में मजीरा तो  दुसरे हाथ में पोटली और एक अजीब सा काले रंग का भिक्षा पात्र हुआ करता थाI जब कभी कुछ जिद करते तो माँ डराया करती थी की वो पोटली में बंद करके ले जायंगेI हमने एक दिन उनसे पूछ ही लिया की आप सच में बच्चो  को बंद करके ले जाते हैं क्या ? वो मुस्कुरा के बोले सिर्फ उन्ही बच्चो को ले जाते हैं जो बड़ो का कहना नहीं मानते हैI हम हमेशा ही उनकी पोटली देखते थे की आखिर उसमे कोई है की नहीं, पर कोई नहीं होता थाI एक दिन ऐसे ही भिक्षा मांगने आये थे,माँ कुछ दुसरे काम में व्यस्त थी की हम दोनों भाई बहन निकले I कुछ थके लग रहे थे वो , उनकी तबियत ख़राब थीI हमारे दरबाजे पे बैठ गए शायद आज इतनी शक्ति नहीं थी की भिक्षा मांग सकेंI मेरा छोटा भाई उनके सर पे हाथ रख के अपनी तोतली आवाज़ में बोला "दीदी बाबा तो बुथाल है"I  हमें लगा वो  बीमार हैं तो फिर भिक्षा कैसे मांगेगे फिर आईडिया आया, उनका मंजीरा लिया पोटली टांगी और बर्तन उनसे जबरदस्ती ले लिया फिर अपने ही घर के बाहर उसी अंदाज़ में मंजीरा बजाया और कहा " माई फकीर को कुछ दे दे अल्लाह ताला बरकत देगा तेरे बच्चे सुखी रहेंगे " एक चांटा मिला और बाबा को मिली फटकारI हम रोने लगे तो हमारा भाई भी रोने लगा, हमने यूँ ही रोते हुए कहा" मम्मी तुम्ही तो कहती हो की लोगों की हेल्प करनी चाहिये बाबा को बुखार है", और हम चल दिये भिक्षा मांगने अपनी गली मेंI माँ ने बाबा को खाना दिया फिर दवा भी दी और बाबा ने हमें ढ़ेर सारी दुआएँ दीIशुक्रबार को जल्दी ही homework ख़त्म कर लिया करते थे, बाबा के आने का इंतज़ार करते थे और उनका मंजीरा बजाया करते थेI जब दो- तीन शुक्रबार नहीं आये तो हमें कुछ अच्छा नहीं लगाI माँ को हमेशा पूछते थे की आये थे क्या माँ , माँ ने पापा से पता करने को कहा, पता चला की शहर छोड़ के कहीं चले गए हैंI आज मुंबई के इस platform पे बरबस ही उनकी याद क्यूँ आ गयी हमें समझ ही नहीं आया मन में बस इतना ही पुछा "बाबा को हमारी याद कभी नहीं आती क्या" की तभी माँ का फ़ोन आया खाना खाया की नहीं और बहुत सारे सबालI याद आया कल रात को चन्दन भैया ने marine drive के पास चिक्की खरीद दी थी अभी तक बैग में ही पड़ी हुई होगी निकाल के एक byte खा लिया ताकि अगली बार माँ को झूठ ना बोलना पड़ेI एक दिन हमारे स्कूल बस का excident हो गया था, किसी को कोई चोट तो नहीं आई थी पर माँ ने फिर बस से हमें जाने ही नहीं दियाI तब से रिक्शे में ही जाया करते थे, बड़ा बोरिंग लगता थाI कुछ क्लासमेट साईकल से स्कूल जाते थे तो हमारा भी मन करता था पर माँ को मनाने में एक साल लग गयेI मानी तब जब हमारे मोहल्ले में मिश्र जी के यहाँ नए किरायेदार की बेटी का हमारे स्कूल में admission हुआI वो साईकल से जाती थी हमारी ही क्लासमेट थी हमारी नोट कॉपी और किताबें जो स्कूल में छुट जाया करती थी वो ला के घर पे दे जाया करती थी और हम as usual डांट खाया करते थेI फिर भी वो हमें अच्छी लगती थी, हम दोनों अपनी साईकल से साथ ही स्कूल जाया करते थेI एक दिन गये तो आंटी ने कहा की वो स्कूल नहीं जाएगी तबियत ख़राब है उसकीI रोज़ ही उसके घर पूछने जाया करते थे की स्कूल कब से जाएगीI हमारी कॉपी किताबे पहले की तरह ही खोने लगी, मन नहीं करता था की उसके बिना साईकल से जायेI एक सुबह स्कूल के लिये तैयार हो के उसके घर के तरफ निकले ही थे की अंदर से रोने की आवाज़ आ रही थी, इतनी हिम्मत नहीं जुटा पाए की उस क्रंदन को हम देखने जा पातेI बैठे-बैठे प्लेटफ़ॉर्म पे यूँ ही ऑंखें भर आयीं I ट्रेन आ-जा रही थी की तभी पापा का फोन आया, पुछा कहा हो exam कैसा गयाI रोना तो आ ही रहा था, वैसे  ही बोल पड़े बहुत ख़राब गया है पापाI शायद सिसकिया सुनाई दे गयी होगी तो दिलासा देते हुए बोले मेरी रानी बेटी को बहुत बड़ा बनना है, अरे ये तो छोटा सा जॉब था मेरा मन भी नहीं थाI मुंबई घुमे की नहीं? हमने जबाब में कह दिया कल हाजी अली और marine drive गये थे, आज kolkata चले जायेंगे कल interview हैI दोपहर के ढाई बज रहे थे और हमें वो पल याद आ रहा  था जब कॉलेज में इस वक़्त practicals हुआ करते थेI Ecology की practical field में हुआ करती थी सर लोग आते नहीं थे और हम बच्चे मस्ती करते थेI एक दिन हमारे एक college-mate  ने हमें bike चलाने का challenge दियाI पहले कभी चलाया नहीं था लेकिन लगा की ये भी तो दो पहिये की ही है चल ही जाएगीI उसे ही पीछे बैठा के चलाने लगे,एसिलेटर गियर स्पीड सब सही जा रहा थाI वैसे तो सब ठीक ही रहता अगर बीच में पोल ना आया होता हमें समझ ही नहीं आई की हम ब्रेक कैसे ले हमने पूछा की यार ब्रेक कहाँ है तब  तक तो पोल गाड़ी से लड़ गयी I बेचारे का हाथ काट गयाI बड़ा Embarassing moment था पर कहते भी क्या बस ये कहा की आगे से कभी हमें challenge मत करना नुकसान तुम्हारा ही होगाI कोचिंग क्लास में सबा और उसके भाई युसूफ आया करते थे उन्हें बहुत अच्छी bike चलाने आती थीI हम और सबा सन्डे को bike चलाना सीखा करते थे उनसे और वो भी बहुत मेहनत से सिखाते थेI पापा को अपनी स्कूटर प्रिया काफी प्रिय थी बहुत मुश्किलों के बाद हमने उन्हें bike खरीदने के लिये convince किया सोंचा युसूफ भाई और सबा छुट्टियों के बाद आयेंगे तो उन्हें Surprise देंगेI classes शुरू हो चुकी थी पर वो दोनों नहीं आ रहे थे तभी एक दिन सबा आई पर हमेशा के लिये जाने के लियेI हमने युसूफ भाई के बारे में पूछा तो पता चला की उनकी अम्मी और युसूफ भाई अब  नहीं रहे और वो अब पटना छोड़ के अपने खाला के यहाँ जा रही है उन्ही के साथ रहेगी अबI कह के वो चुप हो गयी और हम कुछ बोल ही नहीं पाएI तभी हमारे मोबाइल ने चुप्पी तोड़ी, बाबुल मामा का फ़ोन था खाने पे हमारा wait कर रहे थे गुस्सा होने लगे की एक दिन के लिये मुंबई आई हो फिर भी लग नहीं रहा की हमलोग खाना आज साथ खा पाएंगे, जल्दी आओI पर हमारे यादों  की तस्बीर अभी पूरी नहीं हुई थीI वंदना की death के बाद माँ ने स्कूल change करा दियाI Economics पढना बिलकुल भी अच्छा नहीं लगता थाI नोट कॉपी पे फूल बनाया करते थे क्लास में पर नए स्कूल में नीता मैडम बहुत ही अच्छी थीI Economics में BHU की गोल्ड मेडलिस्ट थी उन्हें बिलकुल भी अच्छा नहीं लगता था की हम उनकी क्लास में बिलकुल  भी ध्यान नहीं देतेI हमें अपने घर पे अलग से बुला के पढाया करती थी कभी कभी हाथों से बना खाना भी खिला दिया करती थी और देखती की हमे बिलकुल भी पढने में मन नहीं लग रहा है तो साथ में पेंटिंग किया करती थीI नीता मैडम की छोटी सी लाल रंग की अल्टो थी वो खुद ही चलाया करती थीI हमें promise भी किया था की अगर हम 60 % से above मार्क्स Economics में  लायेंगे तो हमें भी चलाना सिखाएंगीI उन्होंने अपना वादा पूरा किया और हमने इस बार पहले ब्रेक मारना ही सीखाI उन्होंने बताया था की जब भी कुछ सामने दिखे तो होर्न बजाओ और ना हटे तो ब्रेक मार  के थोड़ी देर रुक जाओ हट जाये तो फिर आगे बढ़ोI एक दिन स्टेरिंग बाली सीट पे हम थे और बगल बाली सीट पे नीता मैडमI गाय कुत्ता आदमी सब होर्न बजा के पार अबकी सामने गढ्ढा आया होर्न बजाया हमने फिर ब्रेक भी मारा पर गढ्ढा तो हटा ही नहींI मैडम हमारी बाली सीट पे आ गयी और right turn करके गाड़ी आगे बढ़ाई I कुछ दिनों के बाद मैडम अपने बेटे के यहाँ foreign चली गयींI हमें लगा कुछ दिनों के लिये ही गयीं हैं बापस आ जाएँगीI दिन से महीने हो गये और महीनो से साल बीत गये ना तो उनकी कोई खबर आई और नाही वोI Platform पे बैठे बैठे 3:45pm हो चुके थे की तभी हमारे एक मित्र का फ़ोन आया "यार कहाँ  हो कितने बजे एअरपोर्ट के लिये निकलना है पता है ना की कही और जाने का इरादा है, यार निकलो वोहाँ से जल्दी वरना flight छुट जाएगी "I स्टेशन पे दो लेडिज police बड़े देर से हमें notice कर रही थी फिर आ के पूछती है कुछ भूल गयी है क्या, कहाँ जाना है? "The world's greatest magic is the art of smiling with eyes filled with tears" हमने मुस्कुराते हुए जबाब दिया 4 बजे  की जो लोकल बोरीबली जाती है ना उसी से जाना है कुछ भी नहीं भूले हम, काश की भूल पातेI कल सुबह जब मुंबई के लिये निकले थे तो माँ ने दो पुड़ियाँ जबरदस्ती खिला दी थी और काफी हिदायते भी दीI पापा एअरपोर्ट तक छोड़ने आये और समझा रहे थे किसी अजनबी से जयादा बात मत करना, connecting flight है तो  एअरपोर्ट के बाहर मत जाना, खाना खा लेना, पहुँच के फ़ोन करना इत्यादिI बादलों के बड़े बड़े गुच्छे जब मिलते थे तो ऐसा लगता था जैसे सपनों की दुनिया कोई अलग थोड़ी होती है यही तो है जहाँ अपनों का प्यार हैI कभी छोटे बादलों पे ड्राविंग रूम बनाते तो कभी बड़े बादलों पे डांस स्टेज I कल की सुबह जितनी सुहानी थी और आज की शाम उतनी ही बोझिल है सिर्फ एक इंसान की ना की बजह सेI ये जिन्दंगी के वोही गढ्ढे  है जहाँ पे हमें right turn लेना था और हम ब्रेक मारे बैठे थे की तभी हमारी दोस्त निशी का फ़ोन आया की ऑफिसर जी मिले क्या? अब  तक ऑफिसर जी की पूरी तस्बीर बन चुकी थीI उससे कहा हमने, "हाँ सामने ही है हम बाद में बात करते है ट्रेन आने बाली है " मुंबई एअरपोर्ट से जब flight उड़ी तो बस एक ही ख्याल आया की इस सफ़र में तो कोई भी हमारा अपना नहीं है फिर मन क्यूँ ढूँढता है, शायद इसलिए की  वो लोग जो दे गये है वो हमारी  खुद की ही प्रीत थी और अपनी चीज खोएगी तो मन ढूंढेगा नहीं क्या????


123orkut.com - Orkut Mp3

Saturday, January 15, 2011

किस रंग से मैं रंग लूँ चुनरिया !!!!!!!!!!!!!!!


जिंदगी सच में एक पहेली की तरह है जितनी आसान तरीके से जीने की कोशिश करो उतनी ही बेईमान होती जाती हैI मन की कोरी चुनरिया लिये इस दूनियाँ के सप्तरंगो को देखती हूँ पर अभी तक समझ नहीं पायी किस रंग से मैं अपनी चुनर रंग लूँ I
अभी कुछ दिन पहले ही स्टेट बैंक ज्वाइन किया है लोगों के बीच इतना स्नेह अभी तक के workplace जहाँ भी मैंने काम किया है, वहाँ पे कभी देखा नहीं था तो यहाँ मैं बिलकुल स्तब्ध रह गयी I युवाओं के बीच ये बैंक बिलकुल ही orthodox माना जाता रहा है पर सच कुछ और ही मिलाI कम से कम मैंने जो ब्रांच ज्वाइन किया है उसका तो हैI लोग ऐसे बातें करते हैं जैसे कोई अपना ही हो I जहाँ एक तरफ corporate की नई मृदंग पर आज के युवा चमकीली जंजीरों पर नृत्य करते हैं, यहाँ देखती हूँ की इतनी आत्मीयता है अपने काम के प्रति की जो लोग retire होने वाले है उन्हें अभी से ही अपनों की जुदाई का गम हैI कल हमारे बैंक में एक employee का जन्मदिन था I शाम को हमने मिल के उनका जन्मदिन मनाया तो वो रो पड़े, कहा "मेरे बच्चे मेरा जन्मदिन भूल जाते है मेरी श्रीमती जी भी भूल जाती हूँ पर मेरा ये दोस्त स्टेट बैंक कभी नहीं भूलता बिटिया , सोंचता हूँ की दो साल बाद कैसे कटेगी जिंदगी "I कह नहीं सकती उस बिटिया शब्द में कैसी सतरंगी छठा थी, एक दारुण दृश्य था बस जो कभी corporate की अश्लील पार्टियों में नहीं देखी अब तक I
यूँ तो पटना की सड़के कितनी अच्छी है ये सभी पटनावासी जानते ही होंगे पर रास्तों से कुछ अजीब सा लगाव हो गया हैI यादें ऐसी हैं की चलो तो पता ही नहीं चलता की आप कहाँ आ गएI यूँ ही एक दिन देखा की डोम टोली में तमाशबीनो की बड़ी भीड़ हैI पास गयी तो लोगों ने बताया "नीच की बस्ती है रोज़ का बखेड़ा है इनका तो मैडम जी " I क्या देखती हूँ एक आदमी अपनी औरत को बड़ी बेदर्दी से पीट रहा था और लोग शुरु से अभी तक सिर्फ मजे ही ले रहे थेI मुझे समझ नहीं आया की आखिर वो औरत पत्थर है या वो सारे लोग जो ये तमाशा देख रहे हैं की तभी मन में क्या आया मैंने एक पत्थर जोर से उस आदमी पर छुप के दे माराI विडम्बना ऐसी की पत्थर आदमी को नहीं लगकर उस औरत को ही लग गयी I उसके बाद तो जैसे चमत्कार ही हो गया वो आदमी अपनी पत्नी को छोड़ कर भीड़ से लड़ पड़ा और उसके जख्म देखने लगाI तभी भीड़ से आवाज़ आई " नौटंकी करता है साला, सब पाकेटमारी का धंधा है "I सबने अपनी राह ली और मैंने भी, पर इस रंगीन दुनिया के इतने भद्दे रंग समझ से परे रहेI पुरे रास्ते ये सोंचती आई की अगर लोगों को पता है की ऐसी जगहों पर पाकेटमारी होती है तो भीड़ लगाकर बढ़ाबा ही क्यूँ देते हैI क्या दुनिया है पेट के लिये पीटना और पीटाना पड़ता है I
एक बहुत ही खूबसूरत गाने की लाइन सुनी थी " तू भी तो तडपा होगा मन को बनाकर", कभी यूँ ही ख्याल आता है सब मशीन ही क्यूँ ना हो गए इस मन की क्या जरूरत थी भगवान ? मेरे एक परम प्रिय मित्र ने बहुत ही समझाया मुझे की यार लोगों का मत सोंच, थोडा selfish हो जा जिंदगी फिलोसफी से नहीं चलती पर क्या ये सही है की ह़र कदम हम अपना मतलब निकलने के लिये अपनी आत्मा से खेले या फिर जड़ हो जाएँ तो फिर इंसान रह पायेगे क्या ????

Sunday, November 28, 2010

Pyar ke Side Effects

यूँ तो प्यार पर ना जाने कितनी इबारते लिखीं गयी और ताजमहल भी बनाI कभी ग़ालिब और मीर की गजलें बन गयी, तो कभी हीर- राँझा लैला- मजनू की अमर कहानियाँI बूढ़े बुजुर्ग कहा करते है की अब ना तो मोहब्बत की वो तासीर है ना कोई राँझा है अब और ना कोई हीर हैI शाहरुख़ खान कहता है की कुछ- कुछ होता है पर दोस्त बहुत कुछ होता हैI सृष्टी की शुरुआत से अभी तक प्यार नहीं बदला लेकिन उसके ढंग बदल गए, लोग बदल गएI जज्बे में कमी नहीं है पर शायद जज्बात ही लोगों ने मार लिये हैंI 80 % वैसे लोग होते हैं जो मन ही मन सिर्फ सोंचा करते है, कभी इज़हार नहीं कर पाते कुछ समाज के डर से तो कुछ अपने और सामने बाले में भेद-भाव के शर्म सेI 5 % वैसे होते हैं जिनकी नईया राम जी पार लगाते हैं मतलब की वो खुशनसीब जिन्हें प्यार मिलता हैI और 15 % वो जो सब कुछ पा कर भी, हिम्मतजदा होने पर भी कुछ नहीं कर पातेI
ये 15% बाले लोगों की दौर में जो भी लोग आते हैं बड़ी मुश्किलों में होते हैं, जान ना उगलते बनती है ना निगलतेI कहते हैं प्यार में लोग पागल हो जाते हैं पर उनका क्या जो पहले से पागल ही होंI इन्ही राहों की एक मुसाफिर मैं भी हूँI कुछ ऐसा लगता है जैसे आप अपने आप को नहीं किसी दुसरे को जी रहें होंI मेरे दोस्त कहते हैं ये प्यार का साइड एफ्फेक्ट हैI मेरा ऑफिसर जी कहता है तुम्हारे भी हजार पंगे हैं पर कैसे बताऊ उसे की 500 पंगे तो तुम्हारे आने के बाद आयें हैंI स्थिति ऐसी होती है की रास्ते समझ ही नहीं आते और अगर किसी turning point पे खड़े हो तो समझ जाओ की आप चीन के बदले जापान ही पहुंचोगेI बताह जैसे इधर-उधर अपने में ही मुस्कुराते फिरेंगे आपI ऐनक भी देखने का ढंग बदल जायेगा और लगेगा आप कुछ ज्यादा ही खूबसूरत हैंI उसपे सोने पे सुहागा तब होता है जब कोई दोस्त कह दे की बड़ी अच्छी दिख रही हो आजकलI प्यार के साइड एफ्फेक्ट ऐसे घातक और जानलेबा होते हैं की खाने में मिर्ची तक नजर नहीं आएगीI शर्ट के बटन तक का होश गायब हो जाता हैI रही बात सपनों की तो उसपे तो वो- वो कमाल होतें हैं की बस धमाल हो जाता हैI
सोंचने बाली बात है जिस इंसान की बजह से आपके इतने नुकसान हो रहे हो आपकी इतनी तबाही हो रही हो फिर भी आप उसी की खैर मनाते हैंI अपना होश रहे ना रहे पता करना होता है की वो ठीक है या नहींI आजकल लोगों के पास सभी सुबिधायें घर बैठे उपलब्ध हैं पर उनका क्या जो जशने बहारा टाइप होंI कहते हैं लोग घंटो बातें करते हैं पर मैं जब भी ऑफिसर जी से बातें करती हूँ समझ नहीं आता की क्या बात करू लगता है कहीं कुछ गलत ना बोल दूँI घंटों की कौन कहे मिनटों के भी लाले पड़ जाते हैंI लोग कहते हैं नींद नहीं आती लोगों को पर आजकल दिन रात सोती हूँI लोग कहते हैं कुछ अच्छा नहीं लगता प्यार के बिना पर मुझे सारी फिजायें बहुत ही खूबसूरत लगतीं हैंI
लोग कहते हैं ऐसा तभी होता है जब आपको कोई बहुत अच्छा लगने लगता हैI जैसे किसी को ऑंखें अच्छी लगती हैं, तो किसी को आवाज़ किसी को होठ तो किसी को सामने बाली की स्मार्टनेसI मुझे तो ये भी नहीं पता की मुझे ऑफिसर जी का क्या अच्छा लगता हैI कभी गौर नहीं किया, कुछ खास बात तो नहीं उसमे, कहीं का शहजादा थोड़े ही है पर बिना किसी खासियत के बस वो अच्छा लगता हैI मेरा दोस्त साईं बाबा कहता है की जो दिमाग में हो वही सपने में भी आता हैI पर कल रात जैसा सपना देखा वैसा तो कभी सपने में भी नहीं सोंचा था मैंनेI
मैंने देखा कालिदास रंगालय का ड्रामा स्टेज दिख रहा है चारो तरफ अँधेरा ही अँधेरा है एक गोल सा प्रकाश स्टेज के दाहिनी तरफ है जहाँ कोई लड़की पियानो की धुन बजा रही हैI उसके ही बगल में सितारे टिमटिमा रहे हैं, सहसा मैं वहाँ चाँद ढूँढने लगती हूँ की तभी स्टेज पे आने बाली सीढियाँ और कोरिडोर में लाइट जलीI देखती हूँ जल्वेरा के बहुत सारे फूल बिखरे हैं सीढियों पर, कि तभी किसी ने हॉल में एंट्री की है और स्टेज पे जैसे दूज का चाँद दिखाI देख के मैं चौंक पड़ी की स्टेज पे मैं ही पियानो बजा रही हूँ और जिसने भी हॉल में अभी एंट्री ली है उसे पहचानने की कोशिश कर रही हूँI कहीं एलेन तो नहीं "ना वो तो नहीं है" तो फिर ये कौन आ रहा हैI
मुझे डर लग रहा है की सारे जलबेरा वो अजनबी कुचल ना दे पर ये क्या वो एक- एक कर सीढियाँ उतरता है और जलबेरा के फूल उठाता जाता है और जैसे जैसे वो करीब आ रहा है चाँद पूरा हो रहा हैI जैसे ही वो स्टेज पे आया कि तभी मैंने देखा वो तो ऑफिसर जी है कि अचानक रेनबो दीखता हैI और अपने आप ही गाना बजता है :
Hold me , let me feel you
In my arms again
Softly you whisper my life
my best friend,
मुझे समझ नहीं आ रहा है कि इस वक़्त को मैं क्या लिखूँ, स्तब्ध हूँ मैं, बस उसे देखे ही जा रही हूँI जैसे कि आज आखिरी दिन है और मैं शायद फिर कभी देख ना पाऊ और गाना बज रहा है
A moment is all i m searching for
Just a moment in love with you
A moment so special so beautiful
In a moment my wish comes true
ऑफिसर जी ने सारे जलबेरा मुझे दे दिये और हम दोनों साथ में रेनबो पे जा रहे हैं कि तभी बज रहा है
Save me from the future
take me back in time
the words they have no meaning
without you in my life, मैं उसे डांट रही हूँ कह रही हूँ कहा थे, इतनी देर कहाँ लगा दी बिलकुल लेटलतीफ हो तुम, जमके दुनियाभर कि गलियां दे रही हूँ मैं उसे पर फिर भी वो कुछ नहीं बोल रहा है बस मुस्कुराता जा रहा है और गाना बज रहा है
time has no answer
for word left unsaid
for words have no meaning
there's no road ahead , कि तभी रेनबो का रास्ता ख़त्म हो जाता है और एक टेबल दीखता हैI उसपे Dinner सजा है, वहाँ गोलगप्पे रखे हैं, आइसक्रीम है butterscotch और chocolate बाली, मेरी बनाई जली रोटियां है, और तेहरी हैI चारो तरफ चांदनी बिखरी है और तारे टिमटिमा रहे हैं चाँद भी पूनम का लग रहा है और गाना बज रहा है
I see the magic all around
shining down on me
with you my life would be so right
if only it could be
May be this world is a mystery to me
But if you here for eternity,
और हम दोनों कत्थक कर रहे हैंI समझ में नहीं आ रहा है कि हो क्या रहा है कि तभी मेरे सारे दोस्त स्टेज पे आके धप्पा मारते हैं जैसे हम लोग बचपन में छुआ- छुई नहीं खेलते थे बिलकुल वैसे हीI Monkey है, साईं बाबा है ,मोना डार्लिंग है, बिल्लो रानी है, परी है, मच्छर हैI ये सारी करामत इन्ही लोगों की हैI सहसा आँखों पे यकिन नहीं आ रहा है जब देखती हूँ की रंगालय में audiance की जगह किंग खान और गौरी, Rojer Fedrer , महबूबा मुफ्ती, Operah winfrey ,रेखा,सुधा चंद्रन, नेल्सन मंडेला, किशोर कुमार, मधुबाला, Jorge mendal , Jigme khesar namgayal bangchuk बैठे हैंI ये भी सोंच रही हूँ की कहीं मैं मर तो नहीं गयी हूँ फिर लगता है की यार जिन्दे लोग भी तो दिखाई दे रहे हैं सफी सर, ऋतुराज सर, अयान निशी प्रतिभा सब तो दिख रहे हैंI ऑफिसर जी और हम लोग बड़े खुश हैI वो हरे कांच की रेशमी चूड़ियाँ मुझे देने को लाया है की तभी उसकी और मेरी माँ सामने से डंडा लेकर आ रहे हैI मेरी माँ उसकी दी हुई चूड़ियाँ छीन रही है और ऑफिसर जी की माँ मेरे दोस्तों को डंडे मार रही हैI यार audiance में से भी जो कोई बचाने आ रहा है उसे भी मार के गिरा रही है ये दोनों की तभी एक डंडा ऑफिसर जी को लग गयाI एक हाथ से ऑफिसर जी को बचाने की कोशिश कर रही हूँ, दुसरे हाथ में चूड़ियाँ पकड़ी हुई हैं मैंने I मेरी माँ मुझसे मेरी चूड़ियाँ छीन रही हैं और मैं कह रही हूँ नहीं दूंगी चाहे कुछ भी बोलोI अचानक से बारिश होने लगी तभी आंख खुल गयी "माँ मुझे पानी से जगाने की कोशिश कर रही थी और मेरी bedshit कब से धोने के लिये मांग रही थी"I पता चला १० मिनट से चादर fighting चल रही थी तो माँ ने उकता के पानी से जगाया और गालियों की भरमार कर दी सुबह- सुबह, वैसे भी माँ जब सुबह सुबह गालियाँ देती है तो दिन बहुत अच्छा जाता हैI उस वक़्त इश्वर से प्राथना में ये नहीं माँगा की सचमुच में ऑफिसर जी आये या ये सपना सच हो, बस ये दुआ की कि मेरे दोस्तों का और ऑफिसर जी का मेरी बजह से कुछ बुरा ना हो भगवानI किसी शायर ने क्या खूब लिखा है "किसको सुनाएँ हाले दिल जोरे अदा, आवारगी में हमने ज़माने कि सैर की" I

Tuesday, October 5, 2010

परमेश्वर प्रेम है मुझ निमित भी!!!!!!!!!!!!!!


हरेक रविवार कि तरह फिर चर्च ईशु से बातें करने गयीI सुबह के नौ बज रहे हैंI कोई आया नहीं अभी तक सिर्फ रामप्रबेश जी आये हैं और church survice की तैयारी में व्यस्त हैंI ईशु की मेज के गुलदस्ते सजाने के लिए फूल लेने चर्च के गार्डेन में गयीं हूँ पर कहीं खोई हूँ शायदI मन में अजीब सी व्याकुलता हैI चश्मा लगा रखा है मैंने फिर भी फूल, पत्ते, कांटे, घांस कुछ भी साफ- साफ नहीं दिख रहा हैI निष्प्राण सी बैठी कुछ सोंच रही हूँ इस सोंचने का अंत शुखद है या दुखद पता नहीं मुझे पर सारी बातें याद आ रही है

माँ के साथ ज्वेलर के यहाँ गयी थीI किसी रिश्तेदार को कुछ गिफ्ट देने के लिए खरीदना था की मैंने एक प्यारी सी अंगूठी अपनी ऊँगली में डाल लीI इतनी फिट हो गयी कि निकल ही नहीं रही थी जबरदस्ती मैंने हाथो से निकालाI घर आई तो पता चला माँ ने वो अंगूठी भी खरीद ली हैI मेरे जन्मदिन का उपहार था वोI सारे फसाद की जड़ यही हैI कई बार सोंचा इसे अपनी ऊँगली से निकाल दूँ ,पर एक अनकहा सा रिश्ता जुड़ गया है इससे मेरा ,ऑफिसर जी का और मेरी आवारगी की दुनिया काI
कल की ही बात लगती है जैसे,किसी ने ऑफिस में पूछा "रिंग पहनी है आपने एंगेजमेंट हो गयी है क्या आपकी"I सुबह- सुबह अंकिता का फ़ोन आया था और मैंने यूँ ही बिना कुछ सोंचे पता नहीं क्यूँ ऑफिसर जी का नाम अपने से जोड़ लिये, कितनी गधी थी मैंI प्यार मोहब्बत बाली दुनिया से अपना कोई लेना- देना नहीं थाI कितने ही दोस्तों को बर्बाद होते देखा था मैंनेI उपदेश दिया करती थी सबको बहुत बुरी चीज है, ना रे बाबा मुझे तो कभी नहीं करनाI पर करता कौन है ये तो बस हो जाता हैI
ईशु के लिये फुल चुन रही हूँ और सोंचती जा रही हूँ की कैसी जिंदगी थी बैंक की ये ऑफिसर जी का नाम ही था की उस मरुभूमि में भी ओस की अमृत बूंद लगती थीI रोज़ लोग उसका नाम ले के चिढाया करते थे जिसे मैंने कभी देखा भी नहीं था और मेरा पागलपन ये की मैं झूठ ही चिढ जाया करती थीI कुछ उन लोगो के मुस्कुराते चेहरों को देखने के लिये और कुछ अपनी ख़ुशी के लिएI आप लोग भी सोंच रहे होंगे ये ऑफिसर जी कौन था, कैसे मिला है नाI वो क्या है की एक दिन अपनी दोस्त अंकिता को ऑरकुट पे ढूंढ रही थीI उसकी शादी के बाद उसने एक बार भी कॉल नहीं किया तो उसकी चिंता होने लगीI उसके पुराने नंबर पे ट्राई करती तो ऑफ बताताI उसे ही ऑरकुट पे ढूँढने लगी की शायद ऐसे मुझे मिले, की ऑफिसर जी मिल गएI बातों ही बातों में दोस्त हो गए हम और अपनी आपबीती एकदूसरे को सुनाने लगे, फिर तो ये सिलसिले ही हो चलेI ऑफिस से आने के बाद ऑरकुट खोलना आदत सी हो गयीI चीजें हमेशा एक सी नहीं रहतीं ऑफिसर जी ने एक दिन बताया की वो आ रहा हैI बहुत खुश थी मैं तो, मेरा कोई भी दोस्त आता तो ऐसे ही खुश हुआ करती थीI सोंचती क्या करूँ उसके स्वागत में पर पता चला वो आके भी नहीं आ पायेगा कोई प्लेन से उतर के मिलने दे तब नाI जलबेरा के फूल ख़रीदे थे मैंने, सोंचा मैं नहीं मिल सकी तो क्या ये फूल ही मिल लेंगेI पर कुछ अच्छा जो सोंचो तो ज़माने भर की बंदिशें लग जाती है जैसेI हाय रे एअरपोर्ट की सिक्यूरिटी बाले, सारी खुशियों पे पानी डाल दिया उनलोगों नेI कभी airlines काउंटर पे अरज करती तो कभी लोगों को कहती की ये फूल लेते जाओI किसी ने नहीं सुनी, लोगों को मेरे ये प्यारे फूल बम नजर आते थे और मैं आतंकबादी शायदI " परदेशी बादलों में खो गया और मैं जमीं पे छटपट मचाती रह गयी जैस मन कह रहा हो- फिर से अयिओ बदरा विदेशी पंखों पे तेरे मोती............" फूल बगल बाले मंदिर के हनुमान जी की किस्मत में थाI बहुत बुरा लग रहा था लगा क्यूँ गयी थी मैंI मैं इतनी ediotic हरकते कैसे कर सकती हूँI मेरा सचमुच का एंगेजमेंट थोड़े ही ना हुआ है उससे की आँखों पे जैसे अँधेरा छा गयाI होश तब आया तब ऑटो से गिर गयी और सड़क की गिट्टियाँ हाथ पैर में चुभ गयींI Diaphram enjured हो चूका था माँ नहीं होती तो शायद ही जिंदगी में कभी दोबारा चल पातीI फिर तो किताबों की जगह टेबल पे दवाईयां और injections थेI 10 दिन ऑरकुट बंद, उठने के लिए भी माँ की जरूरत होती तो लिखती कैसेI अचानक बारहवे दिन ऑफिसर जी का फ़ोन आया तो लगा he cares for me yaar और सारे दर्द गायब हो गएI सारे दोस्तों की दुआ थी की मैं जल्द ही ठीक हो गयीI रोज़ अपने आप को समझाती की प्यार- व्यार नहीं है यार हम सिर्फ दोस्त हैंI दूसरों से लड़ना आसान होता है पर अपने आप से लड़ना बहुत मुश्किलI आखिर वो दिन भी आ ही गया जब सबको बताना था की मैं आपलोगों से और अपने आप से सच बोलना चाहती हूँI जान बुझ के ऑफिसर जी की वीडियो बनायीं ताकि माँ देखे और पूछे कुछ, अपनी बातें बताई मैंने माँ कोI माँ ने enquairy शुरु कर दी ,कहाँ रहता है, घर कहाँ है, क्या करता है न जाने कितने सवाल इतना डर तो कभी exam में भी नहीं लगता था जितना आज लग रहा थाI जब मैंने बताया की deffence में है तो भड़क गयीI बोली कोई बच्चों का खेल है पता भी हैं तुम्हे वो लोग कैसे होते हैंI माँ ने उनलोगों की बुराइयाँ जो गिनाना शुरु किया तो मैं कुछ बोल ही नहीं पायी पर मन कहता गयाI माँ से बहस भी नहीं कर सकती तो चुप-चाप सब सुनती जा रही थीI
माँ कहती -कितने निर्दयी होते हैं पता भी है तुम्हे जरा भी दया नहीं होती है,मेरा मन कहता- ऐसा नहीं हैI
माँ कहती -शराबी होतें है सब के सब एक नंबर के , मेरा मन कहता-उन लोगों को ऐसी परिस्थितियाँ झेलनी पड़ती है की पीना पड़ जाता है माँI
माँ कहती - सब के सब non-vegetarian होते है गुड़िया,मेरा मन कहता- तो क्या हुआ पापा भी तो हैं पर कभी उन्होंने आपको इसके लिए कुछ बोला तो नहीं I
माँ कहती - उनलोगों की जान का कोई ठिकाना होता है भला, मेरा मन कहता-जिंदगी का ठेका तो Civilians के पास भी नहीं है कौन जानता है वो कल तक जिन्दा रहेगा भी I
माँ शायद समझ गयी थी की मैं समझने की कोशिश नहीं कर रही हूँI माँ पुरे गुस्से में थीं बोलती हैं, देखा है बबली को कारगील के बाद हस्ती खेलती जान पागल सी हो गयी हैI मेरे पापा कहते हैं आदमी जिसपे ज्यादा गुस्सा करता है उससे उतना ही प्यार भी करता हैIमैं अपने आप को daughter of shame बनते नहीं देख सकती थीI ऑंखें जो डबडबाई सी थी वो छलक पड़ी और मैंने हिम्मत कर के कहा " माँ diffence बाले भी इंसान होते हैं वो बहुत अच्छा लड़का है बस नाक थोड़ी सी मोटी है"I माँ मुस्कुराई थोडा सा और कहा क्यूँ नहीं समझती हो नट- नगारों बाली जिंदगी होती है आज यहाँ तो कल वहाँI तुम रहना हिंदुस्तान में और वो रहेगा जापान मेंI ठीक है मै पापा से बात करुँगी पहले उस लड़के से मेरी बात कराओ, शायद मान गयी थीI
मैंने ऑफिसर जी पहले कभी इस बारे में पुछा नहीं था तो अब बारी उसे बताने की थीI मेरे दोस्त साईं बाबा ने बहुत strength दिया, कहा सच का सामना तो करना ही पड़ेगा आज नहीं तो कलI वैसे भी झाँशी की रानी डरती कैसे पर एक कसमकस अभी भी थी की मैं सच में प्यार करती हूँ या यूँ ही है ये सबI खैर बता दिया उसे भी, एक जो उम्मीद थी ऑफिसर जी ने उसकी भी क्रिकांदिस कर दीI जब उससे बातें कर रही थी तो speaker माँ ने ऑन करबा दियाI माँ भी सुन रही थी जब ऑफिसर जी ने कहा हमारे बीच ऐसा कुछ भी नहीं है और ना ही हो सकता है हम दोस्त हैं और हमेशा दोस्त ही रहेंगेI उसके ये शब्द मेरे लिए बज्रप्रहार से कम ना थेI उस वक़्त लगा जैसे कुछ खाली सा हो गया है, फिर भी उसकी कोई गलती है ही नहीं सारी गलतियाँ तो मैंने की थी सजा भी तो अकेले मुझे ही मिलनी है नाI समझ आ गया था की सचमुच में ही उस अजनबी को प्यार करती हूँ जिसे कभी देखा भी नहीं है मैंनेI
"A beautiful challenge to Newton's theory of gravity: A Heart feels light when someone is in but it feel heavy when someone leave it" कभी उसी ने एक बड़ा अच्छा सा मैसेज किया था, आज उसका मतलब समझ आ रहा थाI
आह ये कांटा भी ना पता नहीं कैसे हाथ में चुभ गया, खून निकल रहा हैI सामने से रिचर्ड अंकल बाइबल का lesson ले कर मेरी तरफ देने आ रहे हैंI पर आज मेरी कुछ भी बोलने कि स्थिति नहीं है, मेरी ऑंखें डबडबाई सी थी तो मैंने उन्हें यूँ ही बोल दिया कि कुछ पड़ गया हैI कुछ लोग जैसे मन पढ़ लेते है, अंकल ने कहा जो भी मुश्किलें है सब खत्म हो जाएँगी भरोशा और हिम्मत कभी मत छोड़ोI चर्च में प्राथना शुरु हो चुकी है पर मन काटों पे ही अटका है मेरा एक दोस्त है मच्छर(बहुत ही पतला दुबला है तो मैंने उसका ये नामांकरण कर दिया है) ने कहा था तुम जो चल रही हो ना ये रास्ता काटों भरा हैI अगर मै तुम्हे और ऑफिसर जी को मार्क्स दूँ तो उसे 90 % और तुम्हे 35 % दूंगा , सड़क कि गिट्टियाँ भी इतनी नहीं चुभी होंगी जितना कि ये बातें कटार सी लगतीI मैंने कभी इस तरह नहीं सोंचा था कि दुनिया लोगों को तौलती है उसके living stander के हिसाब सेI सभी चर्च में प्रार्थना में लगे हैं और मैं ईशु से मन ही मन लड़ रही हूँ कि ऐसी दुनियां में मुझे क्यूँ भेजा, क्यूँ नहीं हैं सब लोग एक समान, क्यूँ है ये difference, क्यूँ फंसा रहे हो मुझे इस दुनियादारी के झमेले मेंI
स्नातक परीक्षाओं में living और nonliving के बारे में difference लिखने आता था कभीI आज difference के एक ओर ऑफिसर जी थे तो दूसरी ओर मैं हूँI मन में आ रहा है कि वो discipline बाला है और मैं अल्हड़- .आवारा, उसकी दो ऑंखें है शायद और मैं अंधी हूँ, उसे चुप रहना पसंद है और मैं पुरे दिन बकबकाती रहती हूँI मच्छर कहता है वो फोडू इंसान है और शायद मैं लोगो का सर फोड़ती हूँ,वो इंग्लिश बोलता है और मैं इंग्लिश कि अर्थी निकलती हूँ वो क्या है कि मुझे ग्रामर नहीं आती नाI सारे सवालों के भँवर में खुद ही डूब उतरा रही हूँI लग रहा है कि कोई साथ नहीं है ईशु भी नहीं कि तभी पादरी जी ने बाइबल का पाठ पढने को dashboard पे बुलाया मुझेI
I read the lesson : the second lesson has been taken from John chapter 13 verse 31 to 35 "31 Jesus said,"Now is the Son of Man glorified and God is glorified in him. 32 If God is glorified in him,God will glorify the Son in himself,and will glorify him at once.33"My children,I will be with you only a little longer.You will look for me, and just as I told the Jews , so I tell you now: Where I am going, you cannot come. 34"A new command I give you: Love one another. As I have loved you, so you must love one another. 35 By this all men will know that you are my disciples,if you love one another." ये क्या पढ़ रही हूँ लगा जैसे ईशु कहता हो मैं तो तुम्हारे साथ ही हूँ, प्यार सारी जंजीरों से परे हैI ये प्यार तो मेरा है मैं कैसे छोड़ सकती हूँ, हाँ कोई उम्मीद किसी से नहींI ये मेरे रास्ते हैं जिसपे मैं खुद ही चलूंगी चाहे जितने भी कांटे होंI बस ये लग रहा है कि चाहे जितना भी वो मुझसे अलग क्यूँ ना हो, वो है तो इंसान ही ना इतना काफी नहीं क्या मेरे लियेI मैं भी सचमुच ही पागल थी जो लोगो में अपने प्यार को ढूंढ रही थी, क्यूंकि जो मेरे पास है जो मेरा मन महसूस कर रहा है वो कोई और कैसे कर सकता हैI मुझे लगता है आत्मा कि सुनना कोई क्रांति करना नहीं है, कोई इनकलाब लाना नहीं है दोस्त, ये तो अपने आप से प्यार करना है और जो अपने आप से नहीं प्यार करेगा वो दूसरों से प्यार क्या करेगाI तभी प्रार्थना का अंतिम गीत बज उठा "हे प्रेम मनभावन उद्धार का शोता,हे प्रेम मनभावन चैन प्राणों का, इसलिए गाती हूँ परमेश्वर प्रेम है-२ मुझ निहित भी " मैं बेकार ही परेशान थी कि कुछ छीन गया है मुझसेI ये मेरा प्यार है जिसे मुझसे कोई कैसे छीन सकता हैI आखिर में लेंट के पैसे गिन रही हूँ तभी दीखता है कोई जलबेरा के फूल लिये गेट पे खड़ा है, सोंचा ये कैसे हो सकता है ऑफिसर जी यहाँ कहाँ से आ जायेगाI तभी लगा जैसे ईशु कहता हो " छोड़ के अपनी काशी मथुरा आ के बसयो तेरे नैन रे बाबरी" ये मेरी दुनियां है जहाँ ना कुछ पाने कि ख़वाहिश है ना कुछ खोने का गम, अब चाँद फलक पे पूरा है और पुरे है हमI

Monday, September 13, 2010

मंजिलें और भी हैं

ऐसा कई बार होता है जिंदगी में जब लगता है कि अरे ये तो पहले भी हुआ थाI रंगमंच वही रहता है, सिर्फ किरदार बदलते हैंI कई बार चीजे शुरू से शुरु करनी होती हैं, आज फिर एक ऐसा ही दिन हैI यूँ तो पीछे मुड़ के रास्ते मैंने नहीं देखे पर ये जरूर देखती हूँ कि कौन से बाले रास्ते अभी चलने को बाकी रह गयें है क्योंकि :-
रोने से तक़दीर बदलती नहीं,
वक़्त से पहले रात भी ढ़लती नहीं,
दूसरों कि कामयाबी लगती आसां,
मगर कामयाबी रास्ते में पड़े मिलती नहीं,
मिल जाती कामयाबी अगर इत्तिफाक से,
ये भी सच है वो पचती नहीं,
कामयाबी पाना है पानी में आग लगाना,
पानी में आग आसानी से लगती नहीं,
राहें रुकने से पहले सोंचों ऐ दोस्तों,
अपने आप कोई जिंदगी सबरती नहीं!!!!!!!!!!!!
मेरा छोटा भाई हमेशा ही मेरी सड़ी कबितायें बर्दाश्त करता है और उसको सुधारता हैI बोर्ड exams के रिजल्ट आये थे कि तभी एक दिन जब ये कविता उसे सुनाई तो उसने कहा छपने लायक है,खुश हो के पापा को भी सुनाया पर उसके बाद जो मैंने सुना वो बहुत ही ह्रदय-विदारक थाI पापा ने कहा आखिर करना क्या चाहती हो तुम जिंदगी मेंI अगर यही सब करोगी तो पढने का वक़्त निकल जायेगा, कोई लक्ष्य भी है या यही सब आवारागर्दी करनी हैI मैंने उनसे ज्यादा गुस्से में कहा मुझे classical dancer बनना है पुरे विश्व में तिरंगा लहराना है और क्याI पापा समझाते हुए कहने लगे सपनो में जीने से कुछ नहीं होता, देखो मनोज को, कितना बेहतरीन तबला बजाता है पर घर में खाने के भी लाले पड़े हैंI जीने के लिये कला या सपनों कि नहीं बेटा पैसे कि जरूरत होती है इसलिए जा के पढाई कीजिये और इंटर में अच्छे मार्क्स ला के दिखाईये तभी कुछ अच्छा कर पाइयेगाI
उस दिन समझ आया कि हमारा समाज ये मानता है कि जिसके पास जितना पैसा है वो उतना ही सुखी है पर क्या भौतिक सुख सुबिधायें मन को शांति दिला सकतीं हैंI आज भी जान डांस पे अटकी हुई है मंजिल वही है पर माँ पापा ने कुछ और ही सोंच रखा था मेरे लिये शायदI मैंने तब तय किया कि कुछ मंजिलें और भी है जो पाना है अपने लिये नहीं अपनों के लियेI १२वी कि परीक्षा सर पे थी और मैं कालिदास रंगालय में अभिज्ञान शाकुंतलम प्ले कि तयारी कर रही थी, तभी मेरी माता जी अचानक से आ गयीं वहाँ और कसम दी कि जब तक अपने पैरों पे खड़ी ना हो जाऊं इस तरह कि वाहियात चीजों में अपने आपको बर्बाद नहीं कर सकतीI माँ के प्यार और फटकार ने घूँघरू छीन लियेI खैर १२वी कि परीक्षा दी और मेरे करियर कि चिंता लोगों को सताने लगी खास कर माँ पापा कोI science से इंटर करने के बाद भारत में लोगो को दो ही profession चुम्बक कि तरह अकर्षित करती है या तो डॉक्टर या तो इंजिनियरI चूँकि घर में सब health department से हैं और bio background इंटर किया था मैंने तो लोगो को लगता था मैं डॉक्टर बनुगीI अब लोगों को लगने में क्या है पर जिसे physics झेलना पड़ता है ना उसे ही पता चलता हैI लगता है, साले scientist लोग पैदा ही नहीं होते तो कितना अच्छा होताI कठिन तपस्या से physics झेलने के बाद veterinary college में admission कि बात आई, तो डॉक्टर बनने से पहले ही मरीजों बाली स्थिति हो गयीI मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल का खाना खा के बीमार पड़ गयी फिर भी चार महीने तक मैंने मेडिकल कॉलेज झेला या फिर कॉलेज बाले मुझे झेल रहे थेI Anatomy or Physiology कि classes में मरी भैंस सामने होती थी,बड़ी- बड़ी हड्डियाँ देख के लगा कि यार किस मुर्देखाने में आ गयी मैंI जब dissection classes होते तो बहुत दया आती थी अपने आप पे और उस मरे हुए object पेI लगा जैसे दम घुटता हो, यार जब मरे हुए जानबरों का कुछ कर नहीं सकती तो जिन्दे का क्या भला करुँगीI किसी का बुरा मैं नहीं कर सकती, लगा एक बकबास डॉक्टर बनने से ज्यादा जरूरी है कि एक अच्छा इंसान बना जायेI दुसरे दिन बापस घर और एक नई मंजिल कि तलाश शुरूI
बचपन में आरोहन और teletubbies देखा करती थी सोंचा यहाँ कोई राह हो शायद मेरे लियेI NDA के written exam clear किये तो पता चला यहाँ मेडिकल exam भी होता है पर ऑंखें मेडिकल exam के entrance दे-दे के पहले ही ख़राब हो चुके थेI मंजिल तो कब से पता थी मुझे पर रास्ते बड़े अजीबो गरीब मिलते गए लेकिन कारवां कहीं रुकता है भलाI
सोंचा स्नातक ही कर लेते हैं फिर science college बालों का पाला मुझसे पड़ाI शुरुआत काफी बोरिंग थी पर कोई ऐसा मिला जिससे जिंदगी खूबसूरत हो गयीI कब मैं लोगों कि चहेती बनी मुझे खुद भी नहीं पताI यहाँ लोगों का स्नेह था तो सब काम आसान लगते थेI काफी adventurous रहा यहाँ का सफ़रI Debate competition, singing competition, dance competition, athletic championship, NSS और ना जाने क्या क्या किया, तीन साल कब गुजर गए पता ही नहीं चलाI फिर साला वही खीच- खीच "करियर" माने वो चीज जिससे आपको पैसे आते हों और आपकी प्रतिष्ठा बढती हो पर खुशियाँ आये ये जरूरी तो नहींI
सारे दोस्तों ने अपनी-अपनी राह पकड़ी और मैं भी अपने नए कारवां कि तरफ चल पड़ी, नया कारवां था patna law college ,सोंचा लोगों को न्याय दिलाउंगी और पैसे व् प्रतिष्ठा भी पाऊँगीI २ महीने ही क्लास किये थे कि मेरी दलीलों से वहाँ के professors त्रश्त हो गए थेI इंडियन पेनल कोड में समाज के लिये कोई सजा ही नहीं है और ना ही सामाजिक कुरीतियों के लियेI अधिनियम पे अधिनियम बनाये जाते है, बच्चे बेफजूल ही याद कर- कर के हलकान तक हो जाते हैं, लेकिन जिसकी सुननी चाहिए उसकी कोई सुनता कहाँ हैI इंसाफ कि देवी अन्धी है सबुत चाहिए होते है वो सिर्फ सुन सकती है बस, पर आत्मा कि पाकीजगी कोई कैसे दिखा सकता है यारI अगर आत्मा निकलेगा तो मर नहीं जायेगा क्या I उस दिन से बड़ा अजीब लगा जब लौ कॉलेज के मेरे अतिप्रिय शिक्षक ने कहा की "अगर सामने बाला मुजरिम है आप जानते हो और आपको उसके पक्ष में लड़ना हो तो आप अपने मन की नहीं उस बादी का पक्ष देखेंगे बिलकुल अंधे होकर,यही सच है क्यूंकि सारी चीजें जैसी दिखतीं है वैसी नहीं है सब बिज़नस हो चुका हैI गवाहों के लिये गीता बाइबल कुरान और गुरुग्रंथ साहिब है पर वकीलों के लिये नहीं और वैसे भी इन्साफ की देवी अन्धी है"I आँखों का अँधा भला पर आत्मा से अँधा होना वो भी जानबूझ कर ये तो बेबकूफी है मैंने दुसरे दिन से कॉलेज जाना बंद कर दियाI
हमेशा दिमाग में आता कुछ अच्छा करना है जिससे किसी का कोई नुकसान ना हो और मेरा भला होI एक दिन माँ कि पासबुक अपडेट कराने बैंक गयी थीI एक बूढी महिला कब से इस टेबल से उस टेबल चक्कर लगा रही थीI मैंने उसे पानी पिलाया और बैठा के पूछा इतना परेशान क्यूँ है वो, पता चला कि उसके पति कि मृत्यु हो चुकी है और जो बचे पैसे हैं वो बैंक से अपने गुजारे के लिये निकलना चाहती हैI लेकिन कुछ nomination कि चक्कर कि बजह से उसे रोज़ दौड़ाया जा रहा हैI मैं चाह के भी उसकी कोई हेल्प नहीं कर पायी तब लगा कि इधर कि तरफ रुख करना चाहिए जहाँ dynamism की जरूरत हैI बैंकिंग की नौकरी साफ सुथरी लगी तो सोंचा लोगों का हेल्प भी कर पाऊँगी सो यही करने की कोशिश करती हूँI ICFAI से पीजी किया बैंकिंग में, और competitive exam के दौड़ में एक और बेरोजगार शामिल हो गया I जब interview की बारी आती तो interviewer को शायद मेरी बेबाकी खल जातीI उन्हें लगता मैं उनके स्वाभिमान की पुंगी बजा रही हुं शायद पर ऐसा नहीं था ये मेरा स्वाभिमान था की कुछ अन्काठी रास नहीं आतीI
बेरोजगारी पे बचपन में लेख लिखने आता था उस वक़्त इतनी समझ नहीं होती की आखिर बेरोजगारी कहते किसे हैं , स्वाभिमानी होना भी अपने आप में दुखद ही है क्यूँ की बहुत जल्दी ही बातें खल जातीं है मन कोI ईश्वर ने कुछ ऐसी राहें भी दीं जो मेरे समझ से परे था की अच्छा है या बुराI रेगिस्तानो में जैसे ओस की बूँद दिखी जब मैंने एक construction कंपनी ज्वाइन कीI ये एक tower infra company थी, vodafone और hutch के tower बिहार और झारखण्ड में लगाने की ठेकेदारी करती थीI काम सीखने का इतना जूनून था की पहले दिन ही मैंने ऑफिस में रात के 10 बजा दिये, लैपटॉप में जोड़ तोड़ करती रहीI वहाँ रिपोर्ट्स बनाने होते थे, Hutch और vodafone के official के साथ मीटिंग attend करनी होती थीI इंजीनियरिंग से दूर दूर का बासता नहीं था फिर भी और सारे इंजिनियर से tower के map पढने सीखे मैंनेI सीखने को काफी मिल रहा था जैसे delta tower ,angular tower, GTT tower , RTT tower बगैरह - बगैरह की तभी एक दिन salary day आयाI उस पल को वयां नहीं कर सकती जब पहली सैलरी मिली थीI माँ को प्रणाम किया और सारे पैसे पैर पे रख दियेI माँ ने एक भी नहीं लिये पर बहुत खुश हुई, मेरी नजरें उतार के कहती है लगता है सुधर गयीI दुसरे ही दिन सबके लिये कुछ ना कुछ ख़रीदा, चाँद के लिये भी एक टाई खरीदी मैंने, लगा वो जब भी मेरे लिये जमीं पे आएगा तो दे दूंगीI कहते हैं जहाँ अच्छाई होती है वहाँ बुराई भी होती है धीरे धीरे बुराईयाँ भी सामने आने लगी पता चला लोग कितनी हद तक selfish हो सकते हैंI इस कारोबार में लोग लगाते एक थे कमाते बीस थे वो भी मक्कारी सेI क्या राजा क्या प्रजा सब के सब मिले हुए थेI शानदार गाड़ियों और high living standard का सच सामने आ रहा था, इतने खोखले निकलेंगे सपने में भी नहीं सोंचा था I रिपोर्ट में दिखाते की tower base और bolt grouting में 3 :1 का अनुपात है और 6:1 भी नहीं होता थाI जब tower गिरने की नौबत होती या फिर कुछ अनहोनी घटती तो किसी सीधे को बकरा बना दिया जाताI लोग ये समझते हैं की अपने घरों में tower लगबाने से पैसे आयेंगे, खुशियाँ आएँगी पर उन्हें अंदाजा नहीं होता होगा की मौत भी आती हैI एक दिन मैनेजेर को लैपटॉप चार्जर मोबाइल डाटाकार्ड सब handover कर दिया और कहा मेरा हिसाब कीजिये मैं चलीI उसने बड़ा समझाया, आखिर तक पूछता रहा की क्या हुआ पर क्या बताती उनको की मैं चुपचाप ये सब नहीं देख सकतीI उसके दुसरे दिन से ऑफिस जाना छोड़ दियाI समय भी घूम- घूम कर एक ही सुई पर अटक जाता है जैसे जिस चीज को छोड़ा था वही फिर सामने आ के खड़ी हो गयी पर इस बार अपनी शर्तों पर काम किया परिणाम अच्छा था की एक turning point आयाI नोकिया बालों ने खुश होकर बहुत अच्छा ऑफर दिया initial salary तीस हजार और DA TA अलग , दुसरे दिन ज्वाइन करना था, पर पता नहीं मन में कुछ खटक रहा थाI रात भर नींद भी नहीं आई कभी बैंक में मिली बूढी महिला नजर आती तो कभी तीस हजार रुपये दिखते तो कभी construction बालों की कमिनापंती याद आती तो कभी लाशों के ढ़ेर पे मेरा महल नजर आताI कभी ये सोंचती की काजल की कोठरी में कब तक कालिफ से बच पाऊँगी, कर लेती हूँI इतना भयानक शायद दूसरा विश्व युद्ध भी नहीं होगा जितना की ये सब मन में तोड़ फोड़ मचा रहे थेI अंतिम क्षणों में वो बूढी महिला की करुण छवि जीत गयीI मैंने decide किया की बैंक में ही नौकरी करनी हैI बस फिर से बेरोजगारी शुरू, की तभी मेहनत रंग लती नजर आईI हमारे यहाँ एक कहाबत है " दूर के ढोल सुहाबने " माने कुछ चीजें जो खूबसूरत दिखतीं हैं जरूरी नहीं की हमेशा खूबसूरत ही हों I ICICI Bank का जॉब भी कुछ ऐसा ही थाI corporate की glamer में रँगा एक ऐसा जाल जिससे निकल पाना निहायत ही मुश्किल है एक ऐसा जाल जो जिंदगी भी ले जाये और जीने का मकसद भीI सुबह की शुरुआत अच्छी हो तो दिल खुश हो जाता है पर यहाँ हर रोज़ शुरुआत मोर्निंग मीटिंग से होती थीI कायदे से होना ये चाहिए था की हम अपनी कंपनी को किस तरह नए ideas से आगे बढाएं इस पर चर्चा होती पर होता कुछ और ही थाI इंसानियत की चरमसीमा पार हो जाती थीI ब्रांच मेनेजर इतने दानवीय ढंग से अपने Juniors को प्रताड़ित करता था कि आत्मा कॉप जाती थीI पहले लगा शायद ये इस ब्रांच में होता होगा पर पता चला सभी जगह का यही हाल हैI अजीब स्थिति थी लोग या तो डर डर के रहते थे या तो चापलूसी कर केI Mother's day, Father's day, Valentine day, Friendship day सुना था मैंने पर यहाँ कुछ और ही डे मनाये जाते थे जैसे CASA डे, गोल्ड डे, मुचुअल फंड डे इत्यादिI ये सारे banking products के नाम हैं जिन्हें बेचने की bombardment सुबह- सुबह BM किया करता थाI मेरे से ये सब करना वैसे ही था जैसे की भीख मांगना,मुझे ये लगता की मैं अपने कुछ innovation से अपने लिये यहाँ रास्ते बना लुंगी वो भी स्वाभिमान के साथI मैं अपने तरीके से काम करना चाहती थी पर ऑफिस पोलिटिक्स ने राह में रोड़े लगा दिये फिर भी अकेले ही रास्तों पर बढती रहीI Work is worship पढ़ी थी कभी पर यहाँ पे Work is dhandha थाI कुछ कसाईखाने ऑफिस के रास्ते में पड़ते थे, ऑंखें मूंद लिया करती थी मैं, पर ऑफिस में लोगों के विश्वास का खून होता थाI जो नैतिक शिक्षा कभी पढ़ी थी वो कटते हुए रोज़ देखती थीI कभी Target के नाम पे employee की गर्दन कटती तो कभी achievement के नाम पे client के विश्वास का खून होताI मेरी मंजिले कभी ये होंगी मुझे यकिन नहीं थाI सपने रेत की तरह उड़ने लगे थेI मैं कैसे देखती रहती चुपचाप , कैसे सहती ये सबI पैसों की चाहत कभी से थी नहीं बस ये रहा की माँ पापा के हिसाब का यानी की दुनियादारी की हिसाब किताब का कुछ करना है पर ये दुनिया मुझे भी selfish बनाती जा रही थी शायदIसोंचने बाली बात है की इंसान अपनी आधी जिंदगी माँ बाप की सुनने में ख़त्म करता है और आधी बाल-बच्चों को सुनाने में, अपनी जिंदगी तो बस खाक में मिला लेता हैI मै ये नहीं कहती की मै सही हूँ या लोग गलत हैं, बस ये चाहती हूँ की मुझे अपने तरीके से अपनी जिंदगी जो जीनी है उसमे कोई दखल ना देI मेरे सपनों को कोई दूसरा ना कुचल के चला जायेI दानव(ब्रांच मेनेजर) से ना डरने की सजा ये होती की सारे काम खुद ही करने पड़ते, बेचारा मेरी खुन्नस दूसरों पे निकालताI मुझे torture करने के बहाने ढूँढता और खुद ही उसकी फट जातीI माँ कभी भूखे रहने नहीं देती थी, यहाँ पता चला की खाना होते हुए भी लोग भूखे कैसे रहते हैI जिंदगी की कुछ कड़वी सच्चाई सामने आ रही थीI वैशाखियों के सहारे चलने की आदत नहीं थी तो एक दिन दानव को resignation थमा दियाI दानव ने सोंचा मैं डर गयी पर मैंने उसे महसूस कराया की डरते तुम लोग हो "AC की आदत तुम्हे होगी शायद पर हम तो परिंदे है खुली हवा में साँस लेते हैं "I उसे लगी एकदम सटाक से तो खुन्नस में उसने BSM को भी डाटने को बुला लिया उसने कहा " atitude दिखाती हो , गांधीगिरी से कुछ नहीं होगा खाक में मिल जाओगी, तुम्हारे जैसे ही गांधीगिरी करते लोग सडको पे ठोकरे खाते हैं"I Mood आ गया मेरा भी उस दिन, दोनों को गांधीगिरी का मतलब समझाया और ये भी बताया की खाख बाले को राख की चिंता नहीं होती अपने देश की मिट्टी ही काफी हैI हाँ पर जो खुद अपनी आत्मा से गद्दारी करेगा वो देश से क्या बफदारी करेगा"I शायद उसे समझ में आ चूका था की ये कुछ उल्लू टाइप इंसान हैI पता नहीं क्या हुआ दानव ने resignation एक्सेप्ट ही नहीं की, कहने लगा तुम्हे जिस तरह से काम करना है वैसे करोI उसके बाद से जब भी वो किसी और को डांटता तो उसके बाद मेरी तरफ देखता था शायद उसे मेरे कहे शब्द याद आते होंगेI उनलोगों का स्मार्ट वर्क का कांसेप्ट था जबकि मेरा हार्ड वर्क का कांसेप्ट थाI employee activities ,quiz contest , drawing competition सब किया , चेहरे वहाँ अब मुस्कुराने लगे थे पर मै अपनी मंजिल से भटकती जा रही थीI वक़्त यु गुम हो जाता था जैसे कभी सुबह हुई ही ना होI ऑफिसरगिरी की कनक निबौरी रास नहीं आ रही थी कि फिर से एक दिन resignation दियाI दानव बोला अब तो सब ठीक है फिर अब क्यूँ जा रही हैंI बड़े भाई की तरह future aspect दिखाने और समझाने कि कोशिश करने लगा पर अपनी thethrology भी बड़ी कमाल की हैI आज उससे कोई बहस नहीं की मैंने बस इतना ही कहा की सोने का पिंजरा रास नहीं आ रहा हैI समझ में नहीं आता स्कूल कॉलेज में नैतिक शिक्षा पढ़ाते क्यूँ हैं, क्यूँ बताते हैं की गाँधी नेहरु के आदर्श, क्यूँ बनाते हैं इंसान जब सब मिट्टी में ही मिलाना होता हैI
मेरा दोस्त कहता था, दो चीजें expectation और limitation अपनी dictionary से मिटा दो खुश रहोगीI आज जब ये भी छोड़ा है तो दुःख हो ही नहीं रहा बस एक नई सुबह की आहट है मन मेंI कुछ रौशनी से भरा हुआ साया है जो लहराता है दिन-रात और मुझे हमेशा शुरू से शुरू करने का साहस देता हैI आज फिर वही दिन है जब अपनी मंजिल की ओर निकलना है नए रास्तों के साथI

Thursday, December 10, 2009

रिश्ते अनजाने से .............


जिंदगी के ऊँचे- नीचे टेढ़े- मढ़े रास्तों में न जाने कितने लोग मिलते हैं और बिछड़ जाते है पर उनलोगों में से कुछेक ऐसे होते हैं जो कभी भुलाये नहीं भूलतेI नानी माँ जन्म जन्मांतर की बातें किया करती थी और कहती थी की पिछले जनम का कोई रिश्ता होता है हमारा जो इस जन्म में अजनबी भी अपनों से ज्यादा अच्छे लगते हैI सबकी जिंदगी में ऐसे लोग आते है और फिजाओं को अपनी खुशबू दे के चले जाते है मेरी भी जिंदगी में ऐसा इंसान आया जिसने मेरे जीने का नजरिया ही बदल दियाI आज सुबह जब अख़बार के पन्ने पलट रही थी तो देखा की गंगा के purification को लेकर भारत के कुछेक राज्य जहाँ पे गंगा प्रबाहित होती है, के मुख्यमंत्रियों की बैठक नईदिल्ली में होने बाली हैI एलेन के साथ बीते पल आँखों के सामने घूमने लगेI उसका आना ऐसे वक़्त हुआ जब मेरा कोई एक भी दोस्त नहीं हुआ करता थाI मेरी दुनियाँ सिर्फ डांस, पढाई, अपनी familyऔर चाँद तक ही सीमित थीI कॉलेज में सब घमंडी गुस्सैल और खडुष ही समझा करते थेI कुछ मनचलों ने तो मेरा नाम झाँसी की रानी रख दिया था तो कुछ लोग हरी मिर्ची बोला करते थेI
एक दिन जब क्लास ख़त्म कर के घर जा रही थी की देखा कॉलेज के student activity center में काफी चहल - पहल हैI गेट के पास अतुल सर खड़े थेI चूँकि मैं NSS की मेम्बर भी रह चुकी थी कभी, तो सर मुझे पहचान गए और बुलायाI पता चला सात दिन बाद Alumini meet और ganga purification पे सेमिनार होने बाला हैI Foreign delegates भी सेमिनार में आ रहे है तो अच्छे से सारा कुछ Conduct करना अतुल सर के जिम्मे ही थाI अपनी टीम में उन्होंने मुझे भी शामिल कर लियाI उस दिन उन्होंने सारी प्लानिंग की कि कैसे सब arrange करना हैI शाम हो चुकी थी मैंने जाने के लिए अपनी साइकिल स्टैंड से निकालीI जैसे ही कॉलेज के मेन गेट के पास पहुंचती हूँ तभी देखा की दो Foreigner मेरी तरफ ही आ रहे हैंI उनमे से एक जिसकी नीली ऑंखें थी बाल थोड़े लम्बे थे, बिलकुल पागलों के से कपडे पहने थे उसने, मुझसे अतुल सर के बारे में पूछने लगाI मैं बता कर घर चली आईI दुसरे दिन से programms कि rehearsal के लिए सारे participents को students activity centre में बुलाया गया तो क्या देखती हूँ वही पागलों सी शकल बाला लड़का अतुल सर से कुछ बातें कर रहा थाI एक लड़की से पुछा तो पता चला सेमिनार में स्पीच देगा और Alumini Meet के प्रोग्राम में पियानो बजाएगाI मुझे यकिन नहीं आ रहा था कि हमारी ही उम्र का दिखने बाला ये बन्दा सेमिनार में स्पीच देने के लिए आया हैI

अगले दिन जब practice के लिए गयी तो अंदर से पियानो कि बड़ी अच्छी धुन सुनाई दे रही थी , उसने उस वक़्त तक सबसे दोस्ती भी कर ली थीI मेरी तरफ हाथ बढ़ा के कहता है "FRIENDS " मैंने कहा i don't , गाने कि practice ख़त्म होते ही मैं घर चली गयीI अगले दिन जब practice के लिए गयी तो देखती हूँ सबमे ऐसे घुल मिल गया है कि पता नहीं कब का मीत है उन सबकाI सबको वो डांस करके दिखा रहा था कि उसे जैसे ही मैं दिखी, मेरी तरफ डांसिंग मोड़ में ही आ के फिर से हाथ बढाता है "FRIENDS " मैंने कहा " i don't" I सारे दिन practice में वो हमारे साथ ही रहता थाI कभी कभी suggestion भी दिया करता था, वो भी अपनी टूटी फूटी हिंदी में तो मुझे हँसी आ जाती थीI अतुल सर ने आ के मुझे एक स्पीच लिस्ट बनाने को कहा और कहा कि Geology Auditorium में सारे Foreign delegates बैठे हुए है, सबसे speech length के साथ- साथ उनके नाम कि लिस्ट बना के लाने को बोला गयाI सबसे लास्ट में उसकी बारी आई मैंने उससे उसका नाम पुछा "may i have your name please & give me some details about your speech?" उसने इतना बड़ा नाम बताया कि मैं लिख नहीं पायी तो उसे ही कॉपी पेन थमा दिया I जब उसने कॉपी बापस कि तो उसमे स्पीच डिटेल के अलाबा एक smiley थी और लिखा था " hey jhanshi would u like to friendship with me?" इससे पहले कि मैं कुछ बोल पाती वो मेरी नक़ल करते हुए कहता है "i don't I

मैंने उसकी दोस्ती एक्सेप्ट कर ली और बाय बोल के चली आईI उसे शायद दो दिन से ये खल रहा था कि सब मेरे दोस्त हैं तो मैं क्यूँ नहीं I हमें जो पानी पीलाने आया करतीं थी वो भी उसकी दोस्त थींI पता नहीं उस इंसान में क्या था कोई उससे बिना बोले रह ही नहीं सकता थाI बहुत- बहुत ही बातें करता था, ढेर सारी बातें करता थाI शाम को जब बापस लौट रही थी कि साइकिल पंचर मिली, देखा वो भी जा रहा हैI वो मेरी ओर ही आ गया और मेरे साथ ही चलने लगा I रास्ते में गोलगप्पे का ठेला दिखा तो मैं खाने के लिए रुक गयी कि उसने भी गोलगप्पे खाने कि इच्छा जाहिर की I मैंने उसे मना किया था कि बहुत तीखी होती है पर माने तब नI अभी उसने दो गोलगप्पे ही खाए थे कि उसका गोरा चेहरा बिलकुल लाल बाले बन्दर कि तरह लाल हो गया थाI ऑंखें डबडबा गयी थी उसकी मुझे बहुत हँसी आईI मैंने गोलगप्पे बाले को उसे देने को मना किया और उसे बैग से पानी का बोतल निकाल के दियाI पानी पी के वो दुबारा से गोलगप्पे खाने लगा तो मैंने उसके हाथ से प्लेट छीन लिया और पुछा-" why u do so? n He said- Your smile is very cute" I दूसरी सुबह जब कंघी कर रही थी तो मुस्कुराते हुए अपने आप को आइने में निहारा सचमुच अच्छी लग रही थी मैंI सेमिनार की practice जोरों पर थीI अगले दिन जब कॉलेज गयी तो as usual एलेन पियानो बजाता मिल गया, उस दिन सारे लोगो का लंच उसने मंगबाया थाI लंच टाइम में उसने सारे लोगो को बुलबाया, वो सबके नाम जानता थाI इतना तो मैं उस कॉलेज कि होके भी नहीं जान पाई थी अभी तकI अचानक मुझे याद आया कि मुझे तो आज कालिदास रंगालय भी जाना हैI मेरे डांस पार्टनर अभिनव ने कुछ काम से बुलाया थाI हमलोग खाना खाने ही बाले थे कि अचानक से उसकी जापानी दोस्त kasuya कि तबियत ख़राब हो गयीI वो और अतुल सर उसे डॉक्टर के यहाँ ले जाने लगे कि तभी kasuya ने मना कर दियाI उसने हमें होटल पहुँचाने के लिए कहा, क्यूँ कि उसकी medicine वहीं रखी थीI वो यहाँ के डॉक्टर से इलाज नहीं कराना चाहती थीI अतुल सर ने ड्राईवर को मुझे भी साथ ले जाने को कहा क्यूंकि कालिदास रंगालय भी उसके होटल के ही रास्ते में पड़ता थाI उसकी तबियत ज्यादा ख़राब हो रही थी तो मैंने और एलेन ने उसे डॉक्टर से दिखाने के लिए मना लियाI हमदोनो उसे डॉक्टर के यहाँ लेके गए और फिर उसे मौर्या होटल में छोड़ाI वो सब कि केयर करता था, कोई उसके लिए पराया नहीं थाI फिर मैं कालिदास रंगालय जाने को हुई तो वो भी मेरे साथ में मुझे छोड़ने आयाI अभिनव, अयान, रेबती, सुधा, डिम्पी, सिखा सब के सब थेI मुझे लगा कोई प्ले के लिए बुलाया होगा पर पता चला अभिनव का जन्मदिन था उस दिन इसलिए सबको बुलाया गया थाI सिर्फ आधे घंटे कि पहचान में सब के सब एलेन के फैन बन चुके थेI भाषा अलग देश अलग मजहब अलग पर पता नहीं कैसे वो क्षण भर में ही सबको अपना बना लेता थाI मैं तो दंग रह गयी जब अभिनव ने शिखा को उस दिन propose कियाI मुझे तो यकिन नहीं आया क्योंकि वो बहुत ही डरपोक किस्म का इंसान था, पर उसे हिम्मत देने बाला और कोई नहीं एलेन ही थाI ये उसकी onspot कारीगरी थी, एलेन तबला बजाना नहीं जनता पर संतोष से जबरदस्ती मांग के बजाताI पेंटिंग नहीं आती थी उसे पर उसके बैग में caryon के रंग हमेशा रहते थेI

एक दिन मैंने पुछा तो बस उसने हाथों में caryon लगा लिया और मुझे एक पेपर दे के कुछ भी बनाने के लिए बोलाI मैंने बोला उसे "I don't know painting allen but he said , u know dear believe me, you make whatever u like just anything", मैं उसके रंग में रंगती जा रही थीI मैंने एक चिड़िया बनायीं तो उसने उसपे कलर भी किया फिर सबको बुलायाI उसपे सबको कुछ - कुछ रंगने को कहा, उसे कोई मना नहीं करता थाI infact मना कर ही नहीं सकता था कोई उसे I कुछ सालों बाद जब आर्ट कॉलेज बालों ने हमारे कॉलेज में इसी तरह कि पेंटिंग बनायीं तो मुझे रोना आ गयाI दिन कैसे गुजर जाता था पता ही नहीं चलता थाI उसे कोई डर नहीं था कि वो जो कर रहा है उसपे लोग हँसी उड़ायेंगे वो तो बस अपनी ही धुन का थाI सुबह का इतनी बेसब्री से कभी इंतज़ार नहीं किया करती थीI अगली सुबह कुछ जल्दी ही चली गयी तो देखा कि K.P. सर और कुछ और लोग एलेन के साथ कही जा रहे थे जब मैं दिखी उसे तो उसने मुझे भी साथ ले लियाI वो लोग कॉलेज से सटे गंगा घाट पे जा रहे थे , घाट पे एक डोलफिन घायल पड़ी थीI हमारे साथ में एक आदमी जो गया था उसने अपने बैग से कुछ दवाइयां निकाली और डोलफिन को लगाये फिर कुछ देर बाद उसे नाव से गंगा के बीच में वो लोग छोड़ के आयेI ये initiative भी एलेन का ही थाI उस सुबह वो सबसे पहले आ गया था कोई उसे दिखा नहीं तो वो गंगा घाट कि तरफ घूमने निकल आया था, तभी उसे वो घायल डोलफिन पड़ी मिलीI इंसान तो इंसान जानवरों के लिए भी इतना स्नेह, सारी फिजाये उसकी दोस्त थीं जैसेI गंगा किनारा उसे बहुत अच्छा लगता थाI जब से आया था वो शाम को उधर ही चला जाया करता थाI आज जब practice ख़त्म हुई तो मुझसे भी चलने कि जिद करने लगा, साथ में उसकी जापानी दोस्त Kazuko Kasuya भी थीI जाकर पता चला कोई नाव बाला उसका दोस्त है जो रोज़ इस पार आकर उसे मगही गाने सुनाया करता हैI उसे समझ नहीं आता फिर भी रोज़ वो सुना करता है और समझने कि कोशिश किया करता हैI आज इसलिए मुझे ले गया ताकि मैं उसे उस गाने का मतलब समझा सकूँ पर मुझे भी समझ आयेगी ये जरूरी तो नहींI मैंने उसे बताया पर फिर भी उसने चलने कि जिद कि तो मैं भी गंगा किनारे चली गयीI

जब नाव बाले ने गाना शुरु किया तो सच में उसका गाना बहुत ही अच्छा था, गाने कि लाइन थी "ओ हमरा कन्ता गईल विदेशवा हो कब अयिहे माहुत बंधू रे,सोना पाँखी हंसा मेरो जिया मोरा लई के गयो हो कब अयिहे माहुत बंधू रे"I मैंने उसे कुछ इस तरह समझाया "Hey wind brother tell me please when my dear comes to me,Hey wind brother that golden bird taken away my soul when he come arrive" इतना ही मैं समझा सकी और बोल के चुप हो गयीI Than he said - carry on jhansi its really very amazing, how can someone talk with wind? I said when anyone fall in love with someone, thats happen my dear. After that i said - i don't know more about it.Than he said- tell me something else dear your voice is really very lovely. तो मै बचपन बाली twinkle twinkle उसे सुनाने लगी जो उनलोगों को भी आता था फिर तो हम तीनो वहीं गंगा किनारे rhymes गा रहे थे और गा के खूब हँसते थे बिलकुल पागलों कि तरह, उसके साथ वक़्त का पता ही नहीं रहता थाI मैंने उनलोगों से उनकी family के बारे में पुछाI एलेन ऑस्ट्रेलिया का था और Kasuya जापान से आई थीI एलेन कि एक बहन थी और कसुया के दो भाई थेI फिर दोनों मेरे बारे में पूछने लगे मैंने भी बतायाI फिर kasuya ने पुछा Have u any boyfriend? I said i haven't any friend even. Than allen said to me: hey jhansi how can it possible dear, u can't alive without the person you talk about your silly things. Than he asked whom do you like most in this world? I answered i like CHAND. Again he asked who's that. I said Actually moon is my chand,usually i talk with him. He amazed & said you like so .I said ya dear i like most. फिर मैं भी उसे उसके बेस्ट फ्रेंड के बारे में पूछने लगी तो उसने मुझे कहा कि वो कल मिलबाएगाI

अगले दिन रविवार था सुबह से ही practice थी कि अचानक 11 बजे के करीब उसे याद आया कि उसने मुझे अपने बेस्ट फ्रेंड से मिलबाने को बोला थाI उसने मौर्या लोक से उजले जलबेरा के फूल ख़रीदे I वो मुझे एक पुराने चर्च जो मेरे घर के पास ही था वहाँ ले गयाI मैंने देखा काफी लोग चर्च से बाहर आ रहे थे तभी ये महाशय मुझे अन्दर ले के गए और यीशु कि बनी पेंटिंग कि ओर इशारा किया कि यही मेरा बेस्ट फ्रेंड है और जो फूल ख़रीदा था मुझे दे कर ईशु कि मेज पे रखने को कहाI उसने उनसे मेरी भी दोस्ती करायी जब बापस आ रहे थे तभी उसे दिखा कि मैंने माथे पे टीका लगा रखा हैI वो इसके बारे में पूछने लगा और कहा कि मुझे भी लगाना हैI मुझे तो माँ ने लगाया था सुबह, उसे घर कैसे ले जाती उल्लू बरमूडा में ही जो घूमता रहता थाI मैं उसे काली मंदिर ले गयीI वहाँ उससे मैंने प्रसाद चढ़वाया तो पंडित जे ने उसे टीका लगा दियाI उसने जब उड़हुल फूल कि माला देखी तो पूछने लगा कि इसका क्या करना हैI मैंने कहा पहन लो तो सचमुच में उसने पहन लिया और पुरे दिन वो माला पहने ही रहा उसे कोई फर्क नहीं पड़ता कि दुसरे क्या कहते हैI अगले दिन सेमिनार था और शुरुआत दीप प्रज्वलन और मेरे गुरु वंदना के classical dance से होनी थीI मैं शाम को ही पहुँची जब डांस के बाद स्टेज से उतरी तो उसने मेरे पैर ही पकड़ लिएI सारे लोग हमें ही देखने लगे, असल में उसने घूँघरू कभी देखे नहीं थे तो वो मुझसे घूँघरू देने कि जिद करने लगाI मैंने वहीं उसके बगल में बैठ के उसे घूँघरू उतार के देखने को दे दियाI वो मुझसे मेरे घूँघरू मांग रहा थाI जब मैंने नहीं दिया तो उसने एक पैर के ही घूँघरू मांगे तो मैंने उसे दोनों ही पैर के घूँघरू दे दिएI खुश हो गया, कि तभी उसका नाम स्पीच के लिए announce हुआI

गंगा से जो उसकी स्पीच शुरु हुई तो कबीर के दोहे, रहीम कि चौपाइया बाइबल और कुरान कि इबादतों से गुजरती उस कश्ती बाले से उस घायल डोलफिन तक को उसने समेटा और हमारी गंगा को स्वच्छ रखने का बचन भी लियाI सबसे आश्चर्य कि बात ये थी कि उसने अपनी स्पीच हिंदी में दी थीI उसने ये भी बताया कि उसकी स्पीच में उसने अपने होटल के मेनेजर से मदद ली हैI खुद हमारे प्रिसिपल सर स्टेज पे आ गए और उसे appreciate किया और ये दोहराया " रघुकुल रीत सदा चली आई प्राण जाये पर बचन न जाई "I उन्होंने ये भी announce किया कि Ganga Purification Project हमारे कॉलेज में इसी साल launch किया जायेगाI अगले दिन सब Foreign delegates जा रहे थे पर मैं उन्हें विदा करने नहीं गयीI मुझे बड़ा अजीब लग रहा था मन में आ रहा था कि उसे न जाने दू पर मैं नहीं कर सकती थीI क्लास में ही बैठी थी कि राजकुमार जी (हमारे डिपार्टमेंट के चपरासी हैं) आये और कहा बउया जी नीचे कोई खोजत हैI देखा तो एलेन हाथों में उजले जल्बेरा के फूल लिए और kasuya मुझे बाय बोलने आये थेI मैने पुछा When u come again, give me promise yaar you come so. He didn't give any promise to me & said " don't expect anything from anyone, you are enough to your world dear , if u leave 2 words Expectation & limitation from your life you will always get more n more. One thing keep in mind dear you are for the world not the world for you, so everything is inside you, nothing else outside ever " उसने तो मेरी दुनियां ही बदल दी थी सब मेरे भी दोस्त बनने लगे थेI सारी चीजे अब बहुत ही अच्छी लगती थीI जब गंगा प्रोजेक्ट शुरु हुआ तो फिर से कुछ जाने पहचाने चेहरे दिखे पर मेरी ऑंखें एलेन को ही ढूँढती रहीI मैं उसे याद करते हुए गंगा किनारे चली गयी तो देखा कि kasuya ढूँढती हुई आ रही हैI

हाथों में उजले जल्बेरा के फूल है उसने मुझे थमा दिया एक चिट भी थी जिसपे smiley बनी थी और लिखा था "Keep smiling always my Chand" उसने कहा एलेन ने तुम्हे देने को कहा थाI मैंने पुछा वो कहाँ है क्यूँ नहीं आया, तो उसने जो बताया लगा पैरों के नीचे जमीं नहीं है सर पे अम्बर कहीं गुम हो गयाI उसने बताया यहाँ से जाने के दो ही महीने बाद उसकी death हो गयीI He was suffering from cancer. मैं रो भी नहीं पाई, क्योंकि एलेन ने हमेशा खुश रहने को जो लिखा था Iकॉलेज anthem कि ये लाइन याद आ रही थी
"अंधियारे में मृत्युशिखर पर,
जागे जीवन- ज्योति तिमिरहर,
सत्य प्रकट हो बन शिव सुन्दर,
उसकी छाँह तले जगमग ज्योति जले "
अब मेरी जिंदगी में उसकी प्रकाशित कि हुई ज्योति मेरे अंधियारे पथ पे पथप्रदर्शक बन के मेरे साथ ही चलती हैI जा के भी कभी दूर जा ही नहीं सका वोI Below uploaded video is dedicated to my Friend Allen. बिलकुल ऐसा ही था वोI

Thursday, September 3, 2009

जरूरत है एक श्रीमती की................


नानी माँ बताती थी की संसार के सृष्टीकर्ता ब्रह्मा जी ने पहले ही सारी जोड़िया बना रखी हैI पहली जोड़ी जो उन्होंने बनायीं थी वो मनु और श्रद्धारूपा की थीI नर और नारी सृष्टी का अभिन्न स्वरुप है नारी का रोल ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि नारी नारायणी है जिससे सारी सृष्टी चलती हैI आजकल का scene थोडा अलग है, मन लाखों सवाल करता है की क्या लोगों ने आज की नारी को नारायणी रहने दिया है क्या सचमुच अर्धांगिनी स्वरूपा उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी आदि काल में थीI
आजकल लोगों को ऐसी श्रीमती चाहिए जो लक्ष्मी ले कर आये, सरस्वती का स्वरुप हो पर दुर्गा जी की तरह प्रचंड ना हो , भला ऐसा हो सकता है क्या जहाँ लक्ष्मी सरस्वती हों वहाँ दुर्गा जी का निवास नहीं होI खैर आजकल की श्रीमती में कम से कम शु बाले सारे लक्षण होने चाहियें जैसे सुन्दर शुशील सुलक्षण सुलभा और पता नहीं क्या क्याI वेद पुराणों से पता चलता है की पहले स्वयंबर हुआ करता था, माने Love + Arrange marriage का combination I और वर जो होते थे यानी grooms को मछली की ऑंखें फोड़नी पड़ती थी, धनुष तोड़ना होता था बहुत ही simple simple काम यारI कम से कम लोगो को अपने जीवनसाथी चुनने का हक हुआ करता था पर आजकल के वरों का सर फूटता है और बधू तो बस " Daughter OF Shame" बन के रह जाती है और कुछ जो इस तरह की बेफजूल बातों में सर नहीं खपाती या सीधी होती है वो " Daughter Of Flame " हो जाती है यानी की जला दी जाती हैI
गलती नर या नारी की नहीं, उस समाज की है जहाँ पे हम रहते हैं, और दहेज़ अपहरण बाल बिबाह जैसी कुरीतियाँ धर्म और संस्कार के आड़ में मानवीय मूल्यों का हनन करती हैI चूँकि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है (मैंने नहीं अरस्तु ने कहा है) इसलिए हमे इसकी अच्छाई और बुराई मजबूरन दोनों स्वीकार करनी पड़ती हैI ऐसा इसलिए क्योंकि ये समाज भी तो हमारा है सारी कुरीतियाँ जो है वो कहीं ना कहीं हमने ही तो बनाई हैI
समाज के ठेकेदारों के हिसाब से शादी करना बहुत ही important है, जो नहीं करता उसे नरक में स्थान मिलता हैI कभी- कभी सोंचती हूँ जो शादी कर लेते होंगे वो तो सीधे स्वर्ग का टिकेट कटाते होंगे पर जिनकी शादी हो चुकी है उनसे जाके अगर पूछेंगे तो यही कहेंगे की नहीं करनी चाहिएI उनलोगों को ये भी ख्याल होता है की मैं जब बर्बाद हो चुकी/ चूका हूँ तो सामने बाला क्यूँ नहीं, कम से कम एक दिन बर्बादी का जश्न तो मनाएंगेI खैर मैं तो मनचली बंजारन ठहरी अगर यहाँ ये सोंचुंगी तो जिंदगी ठहर सी जाएगी समाज से अपना कोई खास लेना देना है नहीं ये माँ और पापा भी जानते थेI पर समाज के हिसाब से मैं अब बड़ी हो गयी हूँ और मुझे भी श्रीमती होना चाहिएI रविवार को कुछ ज्यादा ही आवारागर्दी करती हूँ सुबह को निकलो तो शाम को ही लौटना होता है पर समाज के कुछ हिमायती लोग कहाँ चुप बैठने बाले हैं, दिमाग में तो कीड़ा बुलता रहता है, और एक दिन समाज के कीड़े ने माँ- पापा को भी अपनी चपेट में ले लियाI
एक रविवार as usual निकलने ही बाली थी की माँ ने कहा आज जींस पहन के मत जाओ, जींस बहुत गन्दा हो गया है धोने के लिए डालना है सलवार कमीज पहन लोI चूँकि माँ से बहस करना मतलब दिवार में सर मारना बराबर है(क्योंकि हमेशा वोहीं जीतती है) तो मैंने उनकी आज्ञा मन लीI सुबह कुछ पता नहीं था की आज मेरा श्रीमती कार्यक्रम का मिसाइल launch होने बाला हैI 11 बजे माँ का फ़ोन आया की हनुमान मंदिर चले आओ मैं वहीं हूँ, साथ में घर चलेंगेI नानी रामायण सुनाया करती थी और बताया था की अपनी माता के कहने पर राम जी बनबास चले गए थे तो क्या मैं हनुमान मंदिर नहीं जातीI जाते ही पता चल गया की पूरी दाल काली है, और ये जो दाल मेरे लिए लाई गयी है मेरे प्रिय जीजा जी का कारनामा हैI अगर माँ पापा का ख्याल नहीं होता तो एक सेकंड भी नहीं रूकतीI माँ पापा मेरे गुस्से बाले तेबर से थोडा परेशान थे ,जानते थे की मैं कुछ भी बोल सकती हूँ इसीलिए कसम दे दी की कुछ मत बोलनाI अपना अमोघ अस्त्र यही था जो माँ ने गलती से मुझे कसम दे दियाI वैसे भी "रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाये पर बचन ना जाई"I मंदिर के basement में दर्शन के पहले हाथ पैर धोने का रीबाज है, लोग ऐसे हाथ पैर धोने में पानी बर्बाद करते है जैसे जन्मो का पाप यहीं धोने की कोशिश में लगे होंI दो लोग मेरे बगल में ही छई - छपाक करते हुए हाथ पैर धो रहे थेI वो कुछ ज्यादा ही अपने आप को शुद्ध करने की कोशिश में लगे हुए थेI जब दो चार बार मुझे पड़ गया तो मुझसे रहा नहीं गयाI माँ ने बोलने की कसम दी थी, हाथ पैर नहीं चलाने की कसम थोड़े ही दी थीI मैंने दोनों हाथों में भर-भर के पानी लिया और अपने आप पे ऐसे डालने लगी की सारी की सारी उनलोगों को पड़ रही थीI दोनों तमतमाए हुए बेसमेंट से कुछ बडबडाते हुए निकल गएI
मंदिर के तीसरे तल्ले पे गयी तो देखा काफी लोगों का interview session चल रहा हैI लोग पास होने का सोंचते हैं मैं फेल होने का सोंच रही थीI हनुमान जी को प्रलोभन दिया की प्लीज हनुमान जी फेल करा दीजिये तो एक लड्डू conferm है आपकाI धीरे-धीरे कार्यक्रम आगे बढ़ाI अजीब interview था, पास कराने के लिए काफी लोग थे माँ पापा , दीदी जीजा जी, छोटी माँ छोटे पापा, पड़ोस की आंटी जी इत्यादि ,पर मुझे फेल होना थाI लड़के बालों में वो दो लोग भी थे जिन्हें थोड़ी देर पहले भींगा चुकी थीI वो लोग देख के shocked रह गए और मैं मुस्कराने लगी, वाह रे मेरे हनुमानाI सबालो पे सवाल missile की तरह दागे जा रहे थे पर मुझे तो कुछ बोलना ही नहीं था इसलिए कोई उत्तर नहीं दे रही थी, माँ ने कसम जो दे रखी थीI तभी लड़के बालों ने पूछा लड़की गूंगी है क्या????? जीजा जी बड़ी सफाई से मुझे बचाते हुए कहते है "नहीं जी लड़की तो गौ है ,बहुत शुशील है मेरी गुडिया" (मैं सोंचे जा रही थी की बेचारी गौ की इतनी तौहीन हे भगवान इतने झूठ क्यूँ बुलवा रहे हो इनलोगों से)I माँ कुछ ही छनों में गुस्से से लाल पिली तमतमाती हुई मेरे बगल में धीरे से बोलती है "बोल क्यूँ नहीं रही हो"I मैंने उनकी कसम उन्हें ही याद दिलाई, बिलकुल वैसे ही जैसे जामवंत जी लंका पार करने के लिए हनुमान जी को उनका बल याद कराते हैंI माँ ने जल्दी से कसम बापस ली फिर क्या था, thethrology में तो अपन ने P.H.D. कियेला है बीरूI फिर से interview session चालू ,
प्रश्न : आपके पिता जी का नाम क्या है??
उत्तर: मूड आया बोल दूँ अबे हलकट lollypop question पूछता है, फिर मुस्कुराते हुए पापा का सिर्फ नाम ही बतायाI
प्रश्न : खाना बनाना जानती है ??
उत्तर: हाँ Maggy बनानी आती है न (उन लोगो के face पे expression देखने लायक था)
प्रश्न : Maggy के अलावा भी कुछ बनाना आता है या नहीं एक lady ने पूछा? (की तभी छोटी माँ बोलती है हा आता है ना सभी चीजें बना लेती है)
उत्तर : हाँ और भी चीजें बनाती हूँ जैसे की रोटी पर जली हुईI
प्रश्न :(मुस्कुरा रहे थे वो लोग भी) फिर एक पूछता है Non -vegetarian खाना बना लेती हैं की नहीं?
उत्तर: दिमाग ख़राब है क्या आपका! हमारे यहाँ छुते भी नहीं है, और जो भी खा कर आता है वो नहाने के बाद ही घर में एंट्री करता है (मेरी तरफ बाले सब मुझे बिस्मीत निग़ाहों से घूरने लगे)
की तभी मेरी नजर वहाँ पे रखी स्वीट्स पे पड़ीI माँ को बोला भी धीरे से मैंने की भूख लगी है पर कौन सुनता है अभीI
प्रश्न : शादी के बाद जॉब करेंगी या नहीं ??
उत्तर : क्यूँ नहीं करुँगी मुझे जलना थोड़े ही है, जो आत्मनिभर नहीं होती उन्हें लोग जला भी देते हैं, वैसे भी अगर जॉब नहीं करना होता तो बिलकुल भी पढाई नहीं करतीI
प्रश्न : What is your educational Qualification ?
उत्तर : I have done Graduation in Science From Patna Science College, Done PG in Banking, Financial Services & insurance From ICFAI University & persuing Fellowship in Insurance From Insurance Institute Of India, Mumbai. ( उनलोगों को शायद यकिन नहीं आ रहा था मेरी qualification पे उसके बाद education पे किसी ने चर्चा ही नहीं की)
एक तो भूख लगी थी कोई मेरे खाने पे ध्यान नहीं दे रहा था और उनलोगों को कोल्ड्रिंक पे कोल्ड्रिंक पूछी जा रही थीI मुझे कोई तरकीब नहीं सूझी तो मैंने उन लोगो की तरफ से जो महिला आई हुई थी उनसे पूछा "मैं भी एक स्वीट्स ले लू भूख लगी है", मैंने खाते हुए ही पूछा की मैं भी कुछ प्रश्न पूछना चाहती हूँ ( सब मेरी तरफ ऐसे देख रहे थे जैसे कोई अजूबा कह दिया हो क्योंकि लड़कियों को कुछ भी पूछने की इजाजत नहीं है इस समाज में, चाहे वो कितनी ही पढ़ी लिखी क्यों ना हों,की तभी उनमे से एक महिला ने कहा: हाँ पूछो, सम्भब्तः वो लड़के की माँ थी)
प्रश्न : लड़के की पाँच बुराइयाँ बताइए ? ( दोनों तरफ के लोग ऐसे चौंके जैसे मैंने अभी-अभी हिरोशिमा पे परमाणु बम डाल दिया हो, जीजा जी उठ के कहाँ चले गए मुझे पता नहीं, मैंने फिर उन्हें समझाया भी की इसलिए पूछ रही हूँ की अच्छाइयों के साथ तो कोई भी रह लेता है पर बुराईओं से ताल मेल बिठाना काफी मुश्किल होता हैI सब मेरी अच्छाई पूछ रहे हो आप लोग पर मैं बहुत बुरी भी हूँ नहीं यकिन होता है तो आप माँ से पूछ लो मैं रोज़ डांट खाती हूँI)
अब रिजल्ट की बारी थी, रिजल्ट उदघोसना तक सभा स्थगित की गयीI मंदिर बहुत खूबसूरत था मैंने पहले नहीं देखा था सो मै मंदिर के दूसरी तरफ घूमने लगीI एक जगह बड़ी सी शंकर-पार्वती की खूबसूरत मूर्ति थी की तभी देखा मैंने कुछ स्त्रियाँ एक लड़की से Cat Walk करा रही थीI मन विचलित तो तब हो गया जब उन लोगो ने उसके हाथ पैर देखने शुरु किये, ऐसी ओछी मानसिकता पहली बार देखी थी न मैंने, दंग रह गयीI उस लड़की की मासूमीयत छीनी जा रही थी, कोई14 -15 साल की रही होगी वोI हे भगवान! स्त्रिया ही स्त्री का छिछा - लेदर कर रही थीI लोग पत्थरों को पूजते हैं और इंसानों को ठोकरे मारते हैं अजीब स्थिति हैI
मैं दूसरी तरफ देखने लगी तो देखा की कुछ बुद्धिजीबी लोग तोल- भाव कर रहे थे, एक आदमी कह रहा था " इंजिनियर लैयका के 2 लाख में हथियाबे ला चाहः हथिन एते में तो ऑटो बाला भी न ऐयिते"I लड़के के हिसाब से रेट्स थे, डॉक्टर 10 लाख, इंजिनियर 8 लाख, I.A.S/I.P.S 20 लाख इत्यादिI जिंतनी खूबसूरत मूर्तियाँ वहाँ लगी थी उतनी ही बदसूरत हमारे समाज का भयानक चेहरा दिख रहा थाI
" नर नारायण का स्वरुप होता है ऐसा नानी माँ कहती थी, अपने नारायण की कोई इस तरह बोली लगाता है भला, इस हिसाब से तो ये लगता है की लडको की स्थिति लड़कियों से ज्यादा बुरी है क्यूंकि लड़की बालो के पास चुनने का आप्शन है पर लडको के पास कोई आप्शन नहींI जो ऊँची बोली लगायेंगे उतने में बिकेगा, यही सोंचे जा रही थी मैं "
दूसरी और रुख किया तो देखा लोग कुछ ज्यादा ही चतुराई दिखा रहे थे, दहेज़ नहीं मांग रहे थे पर ये कह रहे थे की " अपनी लड़की की सुबिधा का ख्याल रखियेगा न सर, कार , फ्रिज, ए.सी. ये सब तो जरूरत का सामान है कैसे नहीं देंगे"I अनायास ही हँसी आ गयी लगा कैसे कोई अपनी बेटी को ऐसे घर में डालता होगा जहाँ वो सुख सुबिधाये नहीं है जो उसने बचपन से पायी हैं और अगर वर पक्ष के पास ये सारी चीजें है तो मांगने की क्या जरूरत है यारI हद भिखमंगी है यहाँ तो, हक से भीख मांगते हैं लोगI
हिरोशिमा का जो परमाणु बम मैंने कुछ देर पहले फोड़ा था वो नागासाकी का परमाणु बम बन के मेरे ही उपर आ गिराI जब पता चला की लड़के की माँ ने ओके कर दिया है, मैंने तनिक भी देरी नहीं की हनुमान जी की लड्डू की मात्रा 1 लड्डू से 1 किलो कर दीI और प्रार्थना की प्लीज हनुमान जी ये क्या कर रहे हो आपको तो फेल कराना है आप पास करबा रहे होI इश्वर ने मेरी सुन ली,पता नहीं कैसे बात दुसरे दिन तक टल गयी I दुसरे दिन सब का मुह उतर गया जब पता चला की लड़के को फोटो पसंद नहीं आई उसे खूबसूरत गोरी लड़की चाहिएI मैं खुश हो गयी दुसरे ही दिन मंदिर गयी और हनुमान जी को १ किलो लड्डू चढ़ायाI जब प्रसाद ले के घर आई तो पापा ने पूछा किस चीज का प्रसाद बाँटा जा रहा हैI मैंने बता दिया की ऐसी- ऐसी मन्नत मांगी थीI मुस्कुरा के पापा मेरी ओर देखने लगे और कहने लगे बिलकुल ही पगली होI फिर अचानक से पुछा गुडिया कोई लड़का तुम्हे अच्छा लगता है तो बता दो मैं बात करूँगाI कुछ दोस्त जिनके फ़ोन आया करते थे उनके नाम भी गिना दिये उन्होंनेI मैंने बताया उन्हें की एक जो मुझे अच्छा लगता है उसकी शादी पिछले हफ्ते हो गयी और तो कोई मेरे टाइप का मुझे नहीं लगता, तो माँ पीछे से तमतमाती हुई आईI बोली बिगाड़ दो बेटी को, तुम दोनों बाप- बेटी मुझे पागल बना के छोड़ोगे, आखिर कौन से टाइप का चाहिए, कोई इन्द्रासन से नहीं टपकने बाला है!!!!!! बहस कर नहीं सकती थी सो बस इतना ही कह पायी की "माँ ऐसा टाइप का होना चाहिए जो कभी मैं रूठू तो पापा की तरह मना के अपने हाथों से खाना खिला दे और जो कभी बीमार पडू तो तुम्हारी तरह रातों को जागकर, डांट- डांट के जबरदस्ती दवाईयाँ देता रहे और नजरें उतारे"I माँ निरुत्तर थी , काश की इस जहाँ में कोई ऐसा हो जिसकी मैं श्रीमती बन सकूँI