Thursday, December 10, 2009

रिश्ते अनजाने से .............


जिंदगी के ऊँचे- नीचे टेढ़े- मढ़े रास्तों में न जाने कितने लोग मिलते हैं और बिछड़ जाते है पर उनलोगों में से कुछेक ऐसे होते हैं जो कभी भुलाये नहीं भूलतेI नानी माँ जन्म जन्मांतर की बातें किया करती थी और कहती थी की पिछले जनम का कोई रिश्ता होता है हमारा जो इस जन्म में अजनबी भी अपनों से ज्यादा अच्छे लगते हैI सबकी जिंदगी में ऐसे लोग आते है और फिजाओं को अपनी खुशबू दे के चले जाते है मेरी भी जिंदगी में ऐसा इंसान आया जिसने मेरे जीने का नजरिया ही बदल दियाI आज सुबह जब अख़बार के पन्ने पलट रही थी तो देखा की गंगा के purification को लेकर भारत के कुछेक राज्य जहाँ पे गंगा प्रबाहित होती है, के मुख्यमंत्रियों की बैठक नईदिल्ली में होने बाली हैI एलेन के साथ बीते पल आँखों के सामने घूमने लगेI उसका आना ऐसे वक़्त हुआ जब मेरा कोई एक भी दोस्त नहीं हुआ करता थाI मेरी दुनियाँ सिर्फ डांस, पढाई, अपनी familyऔर चाँद तक ही सीमित थीI कॉलेज में सब घमंडी गुस्सैल और खडुष ही समझा करते थेI कुछ मनचलों ने तो मेरा नाम झाँसी की रानी रख दिया था तो कुछ लोग हरी मिर्ची बोला करते थेI
एक दिन जब क्लास ख़त्म कर के घर जा रही थी की देखा कॉलेज के student activity center में काफी चहल - पहल हैI गेट के पास अतुल सर खड़े थेI चूँकि मैं NSS की मेम्बर भी रह चुकी थी कभी, तो सर मुझे पहचान गए और बुलायाI पता चला सात दिन बाद Alumini meet और ganga purification पे सेमिनार होने बाला हैI Foreign delegates भी सेमिनार में आ रहे है तो अच्छे से सारा कुछ Conduct करना अतुल सर के जिम्मे ही थाI अपनी टीम में उन्होंने मुझे भी शामिल कर लियाI उस दिन उन्होंने सारी प्लानिंग की कि कैसे सब arrange करना हैI शाम हो चुकी थी मैंने जाने के लिए अपनी साइकिल स्टैंड से निकालीI जैसे ही कॉलेज के मेन गेट के पास पहुंचती हूँ तभी देखा की दो Foreigner मेरी तरफ ही आ रहे हैंI उनमे से एक जिसकी नीली ऑंखें थी बाल थोड़े लम्बे थे, बिलकुल पागलों के से कपडे पहने थे उसने, मुझसे अतुल सर के बारे में पूछने लगाI मैं बता कर घर चली आईI दुसरे दिन से programms कि rehearsal के लिए सारे participents को students activity centre में बुलाया गया तो क्या देखती हूँ वही पागलों सी शकल बाला लड़का अतुल सर से कुछ बातें कर रहा थाI एक लड़की से पुछा तो पता चला सेमिनार में स्पीच देगा और Alumini Meet के प्रोग्राम में पियानो बजाएगाI मुझे यकिन नहीं आ रहा था कि हमारी ही उम्र का दिखने बाला ये बन्दा सेमिनार में स्पीच देने के लिए आया हैI

अगले दिन जब practice के लिए गयी तो अंदर से पियानो कि बड़ी अच्छी धुन सुनाई दे रही थी , उसने उस वक़्त तक सबसे दोस्ती भी कर ली थीI मेरी तरफ हाथ बढ़ा के कहता है "FRIENDS " मैंने कहा i don't , गाने कि practice ख़त्म होते ही मैं घर चली गयीI अगले दिन जब practice के लिए गयी तो देखती हूँ सबमे ऐसे घुल मिल गया है कि पता नहीं कब का मीत है उन सबकाI सबको वो डांस करके दिखा रहा था कि उसे जैसे ही मैं दिखी, मेरी तरफ डांसिंग मोड़ में ही आ के फिर से हाथ बढाता है "FRIENDS " मैंने कहा " i don't" I सारे दिन practice में वो हमारे साथ ही रहता थाI कभी कभी suggestion भी दिया करता था, वो भी अपनी टूटी फूटी हिंदी में तो मुझे हँसी आ जाती थीI अतुल सर ने आ के मुझे एक स्पीच लिस्ट बनाने को कहा और कहा कि Geology Auditorium में सारे Foreign delegates बैठे हुए है, सबसे speech length के साथ- साथ उनके नाम कि लिस्ट बना के लाने को बोला गयाI सबसे लास्ट में उसकी बारी आई मैंने उससे उसका नाम पुछा "may i have your name please & give me some details about your speech?" उसने इतना बड़ा नाम बताया कि मैं लिख नहीं पायी तो उसे ही कॉपी पेन थमा दिया I जब उसने कॉपी बापस कि तो उसमे स्पीच डिटेल के अलाबा एक smiley थी और लिखा था " hey jhanshi would u like to friendship with me?" इससे पहले कि मैं कुछ बोल पाती वो मेरी नक़ल करते हुए कहता है "i don't I

मैंने उसकी दोस्ती एक्सेप्ट कर ली और बाय बोल के चली आईI उसे शायद दो दिन से ये खल रहा था कि सब मेरे दोस्त हैं तो मैं क्यूँ नहीं I हमें जो पानी पीलाने आया करतीं थी वो भी उसकी दोस्त थींI पता नहीं उस इंसान में क्या था कोई उससे बिना बोले रह ही नहीं सकता थाI बहुत- बहुत ही बातें करता था, ढेर सारी बातें करता थाI शाम को जब बापस लौट रही थी कि साइकिल पंचर मिली, देखा वो भी जा रहा हैI वो मेरी ओर ही आ गया और मेरे साथ ही चलने लगा I रास्ते में गोलगप्पे का ठेला दिखा तो मैं खाने के लिए रुक गयी कि उसने भी गोलगप्पे खाने कि इच्छा जाहिर की I मैंने उसे मना किया था कि बहुत तीखी होती है पर माने तब नI अभी उसने दो गोलगप्पे ही खाए थे कि उसका गोरा चेहरा बिलकुल लाल बाले बन्दर कि तरह लाल हो गया थाI ऑंखें डबडबा गयी थी उसकी मुझे बहुत हँसी आईI मैंने गोलगप्पे बाले को उसे देने को मना किया और उसे बैग से पानी का बोतल निकाल के दियाI पानी पी के वो दुबारा से गोलगप्पे खाने लगा तो मैंने उसके हाथ से प्लेट छीन लिया और पुछा-" why u do so? n He said- Your smile is very cute" I दूसरी सुबह जब कंघी कर रही थी तो मुस्कुराते हुए अपने आप को आइने में निहारा सचमुच अच्छी लग रही थी मैंI सेमिनार की practice जोरों पर थीI अगले दिन जब कॉलेज गयी तो as usual एलेन पियानो बजाता मिल गया, उस दिन सारे लोगो का लंच उसने मंगबाया थाI लंच टाइम में उसने सारे लोगो को बुलबाया, वो सबके नाम जानता थाI इतना तो मैं उस कॉलेज कि होके भी नहीं जान पाई थी अभी तकI अचानक मुझे याद आया कि मुझे तो आज कालिदास रंगालय भी जाना हैI मेरे डांस पार्टनर अभिनव ने कुछ काम से बुलाया थाI हमलोग खाना खाने ही बाले थे कि अचानक से उसकी जापानी दोस्त kasuya कि तबियत ख़राब हो गयीI वो और अतुल सर उसे डॉक्टर के यहाँ ले जाने लगे कि तभी kasuya ने मना कर दियाI उसने हमें होटल पहुँचाने के लिए कहा, क्यूँ कि उसकी medicine वहीं रखी थीI वो यहाँ के डॉक्टर से इलाज नहीं कराना चाहती थीI अतुल सर ने ड्राईवर को मुझे भी साथ ले जाने को कहा क्यूंकि कालिदास रंगालय भी उसके होटल के ही रास्ते में पड़ता थाI उसकी तबियत ज्यादा ख़राब हो रही थी तो मैंने और एलेन ने उसे डॉक्टर से दिखाने के लिए मना लियाI हमदोनो उसे डॉक्टर के यहाँ लेके गए और फिर उसे मौर्या होटल में छोड़ाI वो सब कि केयर करता था, कोई उसके लिए पराया नहीं थाI फिर मैं कालिदास रंगालय जाने को हुई तो वो भी मेरे साथ में मुझे छोड़ने आयाI अभिनव, अयान, रेबती, सुधा, डिम्पी, सिखा सब के सब थेI मुझे लगा कोई प्ले के लिए बुलाया होगा पर पता चला अभिनव का जन्मदिन था उस दिन इसलिए सबको बुलाया गया थाI सिर्फ आधे घंटे कि पहचान में सब के सब एलेन के फैन बन चुके थेI भाषा अलग देश अलग मजहब अलग पर पता नहीं कैसे वो क्षण भर में ही सबको अपना बना लेता थाI मैं तो दंग रह गयी जब अभिनव ने शिखा को उस दिन propose कियाI मुझे तो यकिन नहीं आया क्योंकि वो बहुत ही डरपोक किस्म का इंसान था, पर उसे हिम्मत देने बाला और कोई नहीं एलेन ही थाI ये उसकी onspot कारीगरी थी, एलेन तबला बजाना नहीं जनता पर संतोष से जबरदस्ती मांग के बजाताI पेंटिंग नहीं आती थी उसे पर उसके बैग में caryon के रंग हमेशा रहते थेI

एक दिन मैंने पुछा तो बस उसने हाथों में caryon लगा लिया और मुझे एक पेपर दे के कुछ भी बनाने के लिए बोलाI मैंने बोला उसे "I don't know painting allen but he said , u know dear believe me, you make whatever u like just anything", मैं उसके रंग में रंगती जा रही थीI मैंने एक चिड़िया बनायीं तो उसने उसपे कलर भी किया फिर सबको बुलायाI उसपे सबको कुछ - कुछ रंगने को कहा, उसे कोई मना नहीं करता थाI infact मना कर ही नहीं सकता था कोई उसे I कुछ सालों बाद जब आर्ट कॉलेज बालों ने हमारे कॉलेज में इसी तरह कि पेंटिंग बनायीं तो मुझे रोना आ गयाI दिन कैसे गुजर जाता था पता ही नहीं चलता थाI उसे कोई डर नहीं था कि वो जो कर रहा है उसपे लोग हँसी उड़ायेंगे वो तो बस अपनी ही धुन का थाI सुबह का इतनी बेसब्री से कभी इंतज़ार नहीं किया करती थीI अगली सुबह कुछ जल्दी ही चली गयी तो देखा कि K.P. सर और कुछ और लोग एलेन के साथ कही जा रहे थे जब मैं दिखी उसे तो उसने मुझे भी साथ ले लियाI वो लोग कॉलेज से सटे गंगा घाट पे जा रहे थे , घाट पे एक डोलफिन घायल पड़ी थीI हमारे साथ में एक आदमी जो गया था उसने अपने बैग से कुछ दवाइयां निकाली और डोलफिन को लगाये फिर कुछ देर बाद उसे नाव से गंगा के बीच में वो लोग छोड़ के आयेI ये initiative भी एलेन का ही थाI उस सुबह वो सबसे पहले आ गया था कोई उसे दिखा नहीं तो वो गंगा घाट कि तरफ घूमने निकल आया था, तभी उसे वो घायल डोलफिन पड़ी मिलीI इंसान तो इंसान जानवरों के लिए भी इतना स्नेह, सारी फिजाये उसकी दोस्त थीं जैसेI गंगा किनारा उसे बहुत अच्छा लगता थाI जब से आया था वो शाम को उधर ही चला जाया करता थाI आज जब practice ख़त्म हुई तो मुझसे भी चलने कि जिद करने लगा, साथ में उसकी जापानी दोस्त Kazuko Kasuya भी थीI जाकर पता चला कोई नाव बाला उसका दोस्त है जो रोज़ इस पार आकर उसे मगही गाने सुनाया करता हैI उसे समझ नहीं आता फिर भी रोज़ वो सुना करता है और समझने कि कोशिश किया करता हैI आज इसलिए मुझे ले गया ताकि मैं उसे उस गाने का मतलब समझा सकूँ पर मुझे भी समझ आयेगी ये जरूरी तो नहींI मैंने उसे बताया पर फिर भी उसने चलने कि जिद कि तो मैं भी गंगा किनारे चली गयीI

जब नाव बाले ने गाना शुरु किया तो सच में उसका गाना बहुत ही अच्छा था, गाने कि लाइन थी "ओ हमरा कन्ता गईल विदेशवा हो कब अयिहे माहुत बंधू रे,सोना पाँखी हंसा मेरो जिया मोरा लई के गयो हो कब अयिहे माहुत बंधू रे"I मैंने उसे कुछ इस तरह समझाया "Hey wind brother tell me please when my dear comes to me,Hey wind brother that golden bird taken away my soul when he come arrive" इतना ही मैं समझा सकी और बोल के चुप हो गयीI Than he said - carry on jhansi its really very amazing, how can someone talk with wind? I said when anyone fall in love with someone, thats happen my dear. After that i said - i don't know more about it.Than he said- tell me something else dear your voice is really very lovely. तो मै बचपन बाली twinkle twinkle उसे सुनाने लगी जो उनलोगों को भी आता था फिर तो हम तीनो वहीं गंगा किनारे rhymes गा रहे थे और गा के खूब हँसते थे बिलकुल पागलों कि तरह, उसके साथ वक़्त का पता ही नहीं रहता थाI मैंने उनलोगों से उनकी family के बारे में पुछाI एलेन ऑस्ट्रेलिया का था और Kasuya जापान से आई थीI एलेन कि एक बहन थी और कसुया के दो भाई थेI फिर दोनों मेरे बारे में पूछने लगे मैंने भी बतायाI फिर kasuya ने पुछा Have u any boyfriend? I said i haven't any friend even. Than allen said to me: hey jhansi how can it possible dear, u can't alive without the person you talk about your silly things. Than he asked whom do you like most in this world? I answered i like CHAND. Again he asked who's that. I said Actually moon is my chand,usually i talk with him. He amazed & said you like so .I said ya dear i like most. फिर मैं भी उसे उसके बेस्ट फ्रेंड के बारे में पूछने लगी तो उसने मुझे कहा कि वो कल मिलबाएगाI

अगले दिन रविवार था सुबह से ही practice थी कि अचानक 11 बजे के करीब उसे याद आया कि उसने मुझे अपने बेस्ट फ्रेंड से मिलबाने को बोला थाI उसने मौर्या लोक से उजले जलबेरा के फूल ख़रीदे I वो मुझे एक पुराने चर्च जो मेरे घर के पास ही था वहाँ ले गयाI मैंने देखा काफी लोग चर्च से बाहर आ रहे थे तभी ये महाशय मुझे अन्दर ले के गए और यीशु कि बनी पेंटिंग कि ओर इशारा किया कि यही मेरा बेस्ट फ्रेंड है और जो फूल ख़रीदा था मुझे दे कर ईशु कि मेज पे रखने को कहाI उसने उनसे मेरी भी दोस्ती करायी जब बापस आ रहे थे तभी उसे दिखा कि मैंने माथे पे टीका लगा रखा हैI वो इसके बारे में पूछने लगा और कहा कि मुझे भी लगाना हैI मुझे तो माँ ने लगाया था सुबह, उसे घर कैसे ले जाती उल्लू बरमूडा में ही जो घूमता रहता थाI मैं उसे काली मंदिर ले गयीI वहाँ उससे मैंने प्रसाद चढ़वाया तो पंडित जे ने उसे टीका लगा दियाI उसने जब उड़हुल फूल कि माला देखी तो पूछने लगा कि इसका क्या करना हैI मैंने कहा पहन लो तो सचमुच में उसने पहन लिया और पुरे दिन वो माला पहने ही रहा उसे कोई फर्क नहीं पड़ता कि दुसरे क्या कहते हैI अगले दिन सेमिनार था और शुरुआत दीप प्रज्वलन और मेरे गुरु वंदना के classical dance से होनी थीI मैं शाम को ही पहुँची जब डांस के बाद स्टेज से उतरी तो उसने मेरे पैर ही पकड़ लिएI सारे लोग हमें ही देखने लगे, असल में उसने घूँघरू कभी देखे नहीं थे तो वो मुझसे घूँघरू देने कि जिद करने लगाI मैंने वहीं उसके बगल में बैठ के उसे घूँघरू उतार के देखने को दे दियाI वो मुझसे मेरे घूँघरू मांग रहा थाI जब मैंने नहीं दिया तो उसने एक पैर के ही घूँघरू मांगे तो मैंने उसे दोनों ही पैर के घूँघरू दे दिएI खुश हो गया, कि तभी उसका नाम स्पीच के लिए announce हुआI

गंगा से जो उसकी स्पीच शुरु हुई तो कबीर के दोहे, रहीम कि चौपाइया बाइबल और कुरान कि इबादतों से गुजरती उस कश्ती बाले से उस घायल डोलफिन तक को उसने समेटा और हमारी गंगा को स्वच्छ रखने का बचन भी लियाI सबसे आश्चर्य कि बात ये थी कि उसने अपनी स्पीच हिंदी में दी थीI उसने ये भी बताया कि उसकी स्पीच में उसने अपने होटल के मेनेजर से मदद ली हैI खुद हमारे प्रिसिपल सर स्टेज पे आ गए और उसे appreciate किया और ये दोहराया " रघुकुल रीत सदा चली आई प्राण जाये पर बचन न जाई "I उन्होंने ये भी announce किया कि Ganga Purification Project हमारे कॉलेज में इसी साल launch किया जायेगाI अगले दिन सब Foreign delegates जा रहे थे पर मैं उन्हें विदा करने नहीं गयीI मुझे बड़ा अजीब लग रहा था मन में आ रहा था कि उसे न जाने दू पर मैं नहीं कर सकती थीI क्लास में ही बैठी थी कि राजकुमार जी (हमारे डिपार्टमेंट के चपरासी हैं) आये और कहा बउया जी नीचे कोई खोजत हैI देखा तो एलेन हाथों में उजले जल्बेरा के फूल लिए और kasuya मुझे बाय बोलने आये थेI मैने पुछा When u come again, give me promise yaar you come so. He didn't give any promise to me & said " don't expect anything from anyone, you are enough to your world dear , if u leave 2 words Expectation & limitation from your life you will always get more n more. One thing keep in mind dear you are for the world not the world for you, so everything is inside you, nothing else outside ever " उसने तो मेरी दुनियां ही बदल दी थी सब मेरे भी दोस्त बनने लगे थेI सारी चीजे अब बहुत ही अच्छी लगती थीI जब गंगा प्रोजेक्ट शुरु हुआ तो फिर से कुछ जाने पहचाने चेहरे दिखे पर मेरी ऑंखें एलेन को ही ढूँढती रहीI मैं उसे याद करते हुए गंगा किनारे चली गयी तो देखा कि kasuya ढूँढती हुई आ रही हैI

हाथों में उजले जल्बेरा के फूल है उसने मुझे थमा दिया एक चिट भी थी जिसपे smiley बनी थी और लिखा था "Keep smiling always my Chand" उसने कहा एलेन ने तुम्हे देने को कहा थाI मैंने पुछा वो कहाँ है क्यूँ नहीं आया, तो उसने जो बताया लगा पैरों के नीचे जमीं नहीं है सर पे अम्बर कहीं गुम हो गयाI उसने बताया यहाँ से जाने के दो ही महीने बाद उसकी death हो गयीI He was suffering from cancer. मैं रो भी नहीं पाई, क्योंकि एलेन ने हमेशा खुश रहने को जो लिखा था Iकॉलेज anthem कि ये लाइन याद आ रही थी
"अंधियारे में मृत्युशिखर पर,
जागे जीवन- ज्योति तिमिरहर,
सत्य प्रकट हो बन शिव सुन्दर,
उसकी छाँह तले जगमग ज्योति जले "
अब मेरी जिंदगी में उसकी प्रकाशित कि हुई ज्योति मेरे अंधियारे पथ पे पथप्रदर्शक बन के मेरे साथ ही चलती हैI जा के भी कभी दूर जा ही नहीं सका वोI Below uploaded video is dedicated to my Friend Allen. बिलकुल ऐसा ही था वोI

Thursday, September 3, 2009

जरूरत है एक श्रीमती की................


नानी माँ बताती थी की संसार के सृष्टीकर्ता ब्रह्मा जी ने पहले ही सारी जोड़िया बना रखी हैI पहली जोड़ी जो उन्होंने बनायीं थी वो मनु और श्रद्धारूपा की थीI नर और नारी सृष्टी का अभिन्न स्वरुप है नारी का रोल ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि नारी नारायणी है जिससे सारी सृष्टी चलती हैI आजकल का scene थोडा अलग है, मन लाखों सवाल करता है की क्या लोगों ने आज की नारी को नारायणी रहने दिया है क्या सचमुच अर्धांगिनी स्वरूपा उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी आदि काल में थीI
आजकल लोगों को ऐसी श्रीमती चाहिए जो लक्ष्मी ले कर आये, सरस्वती का स्वरुप हो पर दुर्गा जी की तरह प्रचंड ना हो , भला ऐसा हो सकता है क्या जहाँ लक्ष्मी सरस्वती हों वहाँ दुर्गा जी का निवास नहीं होI खैर आजकल की श्रीमती में कम से कम शु बाले सारे लक्षण होने चाहियें जैसे सुन्दर शुशील सुलक्षण सुलभा और पता नहीं क्या क्याI वेद पुराणों से पता चलता है की पहले स्वयंबर हुआ करता था, माने Love + Arrange marriage का combination I और वर जो होते थे यानी grooms को मछली की ऑंखें फोड़नी पड़ती थी, धनुष तोड़ना होता था बहुत ही simple simple काम यारI कम से कम लोगो को अपने जीवनसाथी चुनने का हक हुआ करता था पर आजकल के वरों का सर फूटता है और बधू तो बस " Daughter OF Shame" बन के रह जाती है और कुछ जो इस तरह की बेफजूल बातों में सर नहीं खपाती या सीधी होती है वो " Daughter Of Flame " हो जाती है यानी की जला दी जाती हैI
गलती नर या नारी की नहीं, उस समाज की है जहाँ पे हम रहते हैं, और दहेज़ अपहरण बाल बिबाह जैसी कुरीतियाँ धर्म और संस्कार के आड़ में मानवीय मूल्यों का हनन करती हैI चूँकि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है (मैंने नहीं अरस्तु ने कहा है) इसलिए हमे इसकी अच्छाई और बुराई मजबूरन दोनों स्वीकार करनी पड़ती हैI ऐसा इसलिए क्योंकि ये समाज भी तो हमारा है सारी कुरीतियाँ जो है वो कहीं ना कहीं हमने ही तो बनाई हैI
समाज के ठेकेदारों के हिसाब से शादी करना बहुत ही important है, जो नहीं करता उसे नरक में स्थान मिलता हैI कभी- कभी सोंचती हूँ जो शादी कर लेते होंगे वो तो सीधे स्वर्ग का टिकेट कटाते होंगे पर जिनकी शादी हो चुकी है उनसे जाके अगर पूछेंगे तो यही कहेंगे की नहीं करनी चाहिएI उनलोगों को ये भी ख्याल होता है की मैं जब बर्बाद हो चुकी/ चूका हूँ तो सामने बाला क्यूँ नहीं, कम से कम एक दिन बर्बादी का जश्न तो मनाएंगेI खैर मैं तो मनचली बंजारन ठहरी अगर यहाँ ये सोंचुंगी तो जिंदगी ठहर सी जाएगी समाज से अपना कोई खास लेना देना है नहीं ये माँ और पापा भी जानते थेI पर समाज के हिसाब से मैं अब बड़ी हो गयी हूँ और मुझे भी श्रीमती होना चाहिएI रविवार को कुछ ज्यादा ही आवारागर्दी करती हूँ सुबह को निकलो तो शाम को ही लौटना होता है पर समाज के कुछ हिमायती लोग कहाँ चुप बैठने बाले हैं, दिमाग में तो कीड़ा बुलता रहता है, और एक दिन समाज के कीड़े ने माँ- पापा को भी अपनी चपेट में ले लियाI
एक रविवार as usual निकलने ही बाली थी की माँ ने कहा आज जींस पहन के मत जाओ, जींस बहुत गन्दा हो गया है धोने के लिए डालना है सलवार कमीज पहन लोI चूँकि माँ से बहस करना मतलब दिवार में सर मारना बराबर है(क्योंकि हमेशा वोहीं जीतती है) तो मैंने उनकी आज्ञा मन लीI सुबह कुछ पता नहीं था की आज मेरा श्रीमती कार्यक्रम का मिसाइल launch होने बाला हैI 11 बजे माँ का फ़ोन आया की हनुमान मंदिर चले आओ मैं वहीं हूँ, साथ में घर चलेंगेI नानी रामायण सुनाया करती थी और बताया था की अपनी माता के कहने पर राम जी बनबास चले गए थे तो क्या मैं हनुमान मंदिर नहीं जातीI जाते ही पता चल गया की पूरी दाल काली है, और ये जो दाल मेरे लिए लाई गयी है मेरे प्रिय जीजा जी का कारनामा हैI अगर माँ पापा का ख्याल नहीं होता तो एक सेकंड भी नहीं रूकतीI माँ पापा मेरे गुस्से बाले तेबर से थोडा परेशान थे ,जानते थे की मैं कुछ भी बोल सकती हूँ इसीलिए कसम दे दी की कुछ मत बोलनाI अपना अमोघ अस्त्र यही था जो माँ ने गलती से मुझे कसम दे दियाI वैसे भी "रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाये पर बचन ना जाई"I मंदिर के basement में दर्शन के पहले हाथ पैर धोने का रीबाज है, लोग ऐसे हाथ पैर धोने में पानी बर्बाद करते है जैसे जन्मो का पाप यहीं धोने की कोशिश में लगे होंI दो लोग मेरे बगल में ही छई - छपाक करते हुए हाथ पैर धो रहे थेI वो कुछ ज्यादा ही अपने आप को शुद्ध करने की कोशिश में लगे हुए थेI जब दो चार बार मुझे पड़ गया तो मुझसे रहा नहीं गयाI माँ ने बोलने की कसम दी थी, हाथ पैर नहीं चलाने की कसम थोड़े ही दी थीI मैंने दोनों हाथों में भर-भर के पानी लिया और अपने आप पे ऐसे डालने लगी की सारी की सारी उनलोगों को पड़ रही थीI दोनों तमतमाए हुए बेसमेंट से कुछ बडबडाते हुए निकल गएI
मंदिर के तीसरे तल्ले पे गयी तो देखा काफी लोगों का interview session चल रहा हैI लोग पास होने का सोंचते हैं मैं फेल होने का सोंच रही थीI हनुमान जी को प्रलोभन दिया की प्लीज हनुमान जी फेल करा दीजिये तो एक लड्डू conferm है आपकाI धीरे-धीरे कार्यक्रम आगे बढ़ाI अजीब interview था, पास कराने के लिए काफी लोग थे माँ पापा , दीदी जीजा जी, छोटी माँ छोटे पापा, पड़ोस की आंटी जी इत्यादि ,पर मुझे फेल होना थाI लड़के बालों में वो दो लोग भी थे जिन्हें थोड़ी देर पहले भींगा चुकी थीI वो लोग देख के shocked रह गए और मैं मुस्कराने लगी, वाह रे मेरे हनुमानाI सबालो पे सवाल missile की तरह दागे जा रहे थे पर मुझे तो कुछ बोलना ही नहीं था इसलिए कोई उत्तर नहीं दे रही थी, माँ ने कसम जो दे रखी थीI तभी लड़के बालों ने पूछा लड़की गूंगी है क्या????? जीजा जी बड़ी सफाई से मुझे बचाते हुए कहते है "नहीं जी लड़की तो गौ है ,बहुत शुशील है मेरी गुडिया" (मैं सोंचे जा रही थी की बेचारी गौ की इतनी तौहीन हे भगवान इतने झूठ क्यूँ बुलवा रहे हो इनलोगों से)I माँ कुछ ही छनों में गुस्से से लाल पिली तमतमाती हुई मेरे बगल में धीरे से बोलती है "बोल क्यूँ नहीं रही हो"I मैंने उनकी कसम उन्हें ही याद दिलाई, बिलकुल वैसे ही जैसे जामवंत जी लंका पार करने के लिए हनुमान जी को उनका बल याद कराते हैंI माँ ने जल्दी से कसम बापस ली फिर क्या था, thethrology में तो अपन ने P.H.D. कियेला है बीरूI फिर से interview session चालू ,
प्रश्न : आपके पिता जी का नाम क्या है??
उत्तर: मूड आया बोल दूँ अबे हलकट lollypop question पूछता है, फिर मुस्कुराते हुए पापा का सिर्फ नाम ही बतायाI
प्रश्न : खाना बनाना जानती है ??
उत्तर: हाँ Maggy बनानी आती है न (उन लोगो के face पे expression देखने लायक था)
प्रश्न : Maggy के अलावा भी कुछ बनाना आता है या नहीं एक lady ने पूछा? (की तभी छोटी माँ बोलती है हा आता है ना सभी चीजें बना लेती है)
उत्तर : हाँ और भी चीजें बनाती हूँ जैसे की रोटी पर जली हुईI
प्रश्न :(मुस्कुरा रहे थे वो लोग भी) फिर एक पूछता है Non -vegetarian खाना बना लेती हैं की नहीं?
उत्तर: दिमाग ख़राब है क्या आपका! हमारे यहाँ छुते भी नहीं है, और जो भी खा कर आता है वो नहाने के बाद ही घर में एंट्री करता है (मेरी तरफ बाले सब मुझे बिस्मीत निग़ाहों से घूरने लगे)
की तभी मेरी नजर वहाँ पे रखी स्वीट्स पे पड़ीI माँ को बोला भी धीरे से मैंने की भूख लगी है पर कौन सुनता है अभीI
प्रश्न : शादी के बाद जॉब करेंगी या नहीं ??
उत्तर : क्यूँ नहीं करुँगी मुझे जलना थोड़े ही है, जो आत्मनिभर नहीं होती उन्हें लोग जला भी देते हैं, वैसे भी अगर जॉब नहीं करना होता तो बिलकुल भी पढाई नहीं करतीI
प्रश्न : What is your educational Qualification ?
उत्तर : I have done Graduation in Science From Patna Science College, Done PG in Banking, Financial Services & insurance From ICFAI University & persuing Fellowship in Insurance From Insurance Institute Of India, Mumbai. ( उनलोगों को शायद यकिन नहीं आ रहा था मेरी qualification पे उसके बाद education पे किसी ने चर्चा ही नहीं की)
एक तो भूख लगी थी कोई मेरे खाने पे ध्यान नहीं दे रहा था और उनलोगों को कोल्ड्रिंक पे कोल्ड्रिंक पूछी जा रही थीI मुझे कोई तरकीब नहीं सूझी तो मैंने उन लोगो की तरफ से जो महिला आई हुई थी उनसे पूछा "मैं भी एक स्वीट्स ले लू भूख लगी है", मैंने खाते हुए ही पूछा की मैं भी कुछ प्रश्न पूछना चाहती हूँ ( सब मेरी तरफ ऐसे देख रहे थे जैसे कोई अजूबा कह दिया हो क्योंकि लड़कियों को कुछ भी पूछने की इजाजत नहीं है इस समाज में, चाहे वो कितनी ही पढ़ी लिखी क्यों ना हों,की तभी उनमे से एक महिला ने कहा: हाँ पूछो, सम्भब्तः वो लड़के की माँ थी)
प्रश्न : लड़के की पाँच बुराइयाँ बताइए ? ( दोनों तरफ के लोग ऐसे चौंके जैसे मैंने अभी-अभी हिरोशिमा पे परमाणु बम डाल दिया हो, जीजा जी उठ के कहाँ चले गए मुझे पता नहीं, मैंने फिर उन्हें समझाया भी की इसलिए पूछ रही हूँ की अच्छाइयों के साथ तो कोई भी रह लेता है पर बुराईओं से ताल मेल बिठाना काफी मुश्किल होता हैI सब मेरी अच्छाई पूछ रहे हो आप लोग पर मैं बहुत बुरी भी हूँ नहीं यकिन होता है तो आप माँ से पूछ लो मैं रोज़ डांट खाती हूँI)
अब रिजल्ट की बारी थी, रिजल्ट उदघोसना तक सभा स्थगित की गयीI मंदिर बहुत खूबसूरत था मैंने पहले नहीं देखा था सो मै मंदिर के दूसरी तरफ घूमने लगीI एक जगह बड़ी सी शंकर-पार्वती की खूबसूरत मूर्ति थी की तभी देखा मैंने कुछ स्त्रियाँ एक लड़की से Cat Walk करा रही थीI मन विचलित तो तब हो गया जब उन लोगो ने उसके हाथ पैर देखने शुरु किये, ऐसी ओछी मानसिकता पहली बार देखी थी न मैंने, दंग रह गयीI उस लड़की की मासूमीयत छीनी जा रही थी, कोई14 -15 साल की रही होगी वोI हे भगवान! स्त्रिया ही स्त्री का छिछा - लेदर कर रही थीI लोग पत्थरों को पूजते हैं और इंसानों को ठोकरे मारते हैं अजीब स्थिति हैI
मैं दूसरी तरफ देखने लगी तो देखा की कुछ बुद्धिजीबी लोग तोल- भाव कर रहे थे, एक आदमी कह रहा था " इंजिनियर लैयका के 2 लाख में हथियाबे ला चाहः हथिन एते में तो ऑटो बाला भी न ऐयिते"I लड़के के हिसाब से रेट्स थे, डॉक्टर 10 लाख, इंजिनियर 8 लाख, I.A.S/I.P.S 20 लाख इत्यादिI जिंतनी खूबसूरत मूर्तियाँ वहाँ लगी थी उतनी ही बदसूरत हमारे समाज का भयानक चेहरा दिख रहा थाI
" नर नारायण का स्वरुप होता है ऐसा नानी माँ कहती थी, अपने नारायण की कोई इस तरह बोली लगाता है भला, इस हिसाब से तो ये लगता है की लडको की स्थिति लड़कियों से ज्यादा बुरी है क्यूंकि लड़की बालो के पास चुनने का आप्शन है पर लडको के पास कोई आप्शन नहींI जो ऊँची बोली लगायेंगे उतने में बिकेगा, यही सोंचे जा रही थी मैं "
दूसरी और रुख किया तो देखा लोग कुछ ज्यादा ही चतुराई दिखा रहे थे, दहेज़ नहीं मांग रहे थे पर ये कह रहे थे की " अपनी लड़की की सुबिधा का ख्याल रखियेगा न सर, कार , फ्रिज, ए.सी. ये सब तो जरूरत का सामान है कैसे नहीं देंगे"I अनायास ही हँसी आ गयी लगा कैसे कोई अपनी बेटी को ऐसे घर में डालता होगा जहाँ वो सुख सुबिधाये नहीं है जो उसने बचपन से पायी हैं और अगर वर पक्ष के पास ये सारी चीजें है तो मांगने की क्या जरूरत है यारI हद भिखमंगी है यहाँ तो, हक से भीख मांगते हैं लोगI
हिरोशिमा का जो परमाणु बम मैंने कुछ देर पहले फोड़ा था वो नागासाकी का परमाणु बम बन के मेरे ही उपर आ गिराI जब पता चला की लड़के की माँ ने ओके कर दिया है, मैंने तनिक भी देरी नहीं की हनुमान जी की लड्डू की मात्रा 1 लड्डू से 1 किलो कर दीI और प्रार्थना की प्लीज हनुमान जी ये क्या कर रहे हो आपको तो फेल कराना है आप पास करबा रहे होI इश्वर ने मेरी सुन ली,पता नहीं कैसे बात दुसरे दिन तक टल गयी I दुसरे दिन सब का मुह उतर गया जब पता चला की लड़के को फोटो पसंद नहीं आई उसे खूबसूरत गोरी लड़की चाहिएI मैं खुश हो गयी दुसरे ही दिन मंदिर गयी और हनुमान जी को १ किलो लड्डू चढ़ायाI जब प्रसाद ले के घर आई तो पापा ने पूछा किस चीज का प्रसाद बाँटा जा रहा हैI मैंने बता दिया की ऐसी- ऐसी मन्नत मांगी थीI मुस्कुरा के पापा मेरी ओर देखने लगे और कहने लगे बिलकुल ही पगली होI फिर अचानक से पुछा गुडिया कोई लड़का तुम्हे अच्छा लगता है तो बता दो मैं बात करूँगाI कुछ दोस्त जिनके फ़ोन आया करते थे उनके नाम भी गिना दिये उन्होंनेI मैंने बताया उन्हें की एक जो मुझे अच्छा लगता है उसकी शादी पिछले हफ्ते हो गयी और तो कोई मेरे टाइप का मुझे नहीं लगता, तो माँ पीछे से तमतमाती हुई आईI बोली बिगाड़ दो बेटी को, तुम दोनों बाप- बेटी मुझे पागल बना के छोड़ोगे, आखिर कौन से टाइप का चाहिए, कोई इन्द्रासन से नहीं टपकने बाला है!!!!!! बहस कर नहीं सकती थी सो बस इतना ही कह पायी की "माँ ऐसा टाइप का होना चाहिए जो कभी मैं रूठू तो पापा की तरह मना के अपने हाथों से खाना खिला दे और जो कभी बीमार पडू तो तुम्हारी तरह रातों को जागकर, डांट- डांट के जबरदस्ती दवाईयाँ देता रहे और नजरें उतारे"I माँ निरुत्तर थी , काश की इस जहाँ में कोई ऐसा हो जिसकी मैं श्रीमती बन सकूँI

Sunday, May 31, 2009

स्वप्निल यादें - The Journey Of Dreamland

एक यादगार सुबह हमेशा के लिए मेरी मनोस्मृति पर अंकित हो गयीI ये वो दिन था जब मैं पहली बार पटना से बाहर university की तरफ से educational trip के लिए गयी थीI यह किसी हिल स्टेशन की मेरी पहली यात्रा थी, इसलिए यात्रा का हरेक क्षण मेरे लिए रोमांचक थाI हम Patna science college के 24 students अपने दो Professors के साथ घुमने जा रहे थेI हम सभी के अभिभाबक सुबह के 4 :00 बजे आँखों को मिंजते हुए पटना रेलवे स्टेशन तक छोड़ने आये I कुछ ही देर में ट्रेन ने अपनी रफ़्तार पकड़ी और हम निकल पड़े एक सपनो के शहर शिलोंग के लिए I दूसरी सुबह चार बजे जब ऑंखें खुली तो हम Assam पहुच चुके थेI
ब्रह्मपुत्र नदी अपने पुरे उफान पे थी लग रहा था जैसे हमारे ही स्वागत के लिए सदियों से इंतज़ार कर रही होI Assam की राजधानी गुवाहाटी लगा जैसे अपने शहर पटना सा ही है वहाँ हमने माँ कामख्या के दर्शन कियेI घंटियाँ इतनी सुर ताल में बज रही थी मानो एक सुखद संदेशे की आहटे दे रहीं होंI अगले दिन शिलाँग की यात्रा बस से तय करनी थी, मेघालय बोर्डर चेक पोस्ट पास करते ही khasi and Garo hill दिख रहा था, और मेरी कल्पनाओं का कोष खुलने लगा I

बस ऊँचे नीचे रास्तों पर चढ़ने उतरने लगी कभी सांप की काया की तरह सड़क मुड जाती थी, तो कभी अंग्रेजी के अक्षर V और U की तरह अचानक से मोड़ आ जाता थाI उस पल लगा जैसे जिंदगी में भी खूबसूरत मोड़ आया है, इस सुहानी सी वादियों से रूबरू होने का, सच्चे अर्थों में प्रकृति को जानने का उसे घंटों निहारने का .................I
पहाड़ों की गोद में घरोंदों जैसे छोटे-छोटे घरों को देख कर लगता मानो यहाँ अपना भी कोई आशियाना होताI हमारा कारवां यूथ हॉस्टल में रुका और फिर दुसरे दिन एक नई सुबह के साथ हमें नए लोगो से मिलने का ,शिलाँग को करीब से जानने का मौका मिलाI शिलाँग की खूबसूरत सी झील Ward's Lake जहाँ पानी इतना साफ़ था की अन्दर से तैरती मछलियाँ नजर आतीI रंगबिरंगी चिड़ियों का झुण्ड जब एक साथ उड़ता तो मन पुलकित हो जाता I शिलाँग से आठ किलोमीटर दूर Bishop Beadon Fall को देखकर ऐसा लग रहा था मानो पेंसिल के आकार के एक मोटे water pipe से 200 फीट नीचे पानी गिर रहा हैI
"शिलाँग पीक" अपने नाम के अनुरूप ही एहसास करा रहा था, लग रहा था की धरती पर सारी आकाशगंगा यहीं सिमट के आ गयीं होI लोगों से पता चला की हरेक बसंत में यहाँ के निवासी इस पीक पर शिलाँग के देवता की पूजा करते है I
रास्ते में Airforce Museum था जो की बंद था लेकिन हमलोग कहाँ मानने बाले थेI मैं और कुछ दोस्त baricading फलांग के अन्दर पहुँचे I वहाँ पहरेदारी कर रहे ऑफिसर लोगों से बात की तो वो Museum में एंट्री के लिए मान नहीं रहे थेI फिर बिहारी फ़ॉर्मूला try किया ,मैंने यूँ ही बोल दिया की एक रोहित हमारा दोस्त है, आप उसको बुलाइए atleast उससे तो मिल के ही जायेंगेI मुझे यकिन नहीं था की रोहित नाम का भी ऑफिसर होगाI वहाँ पे जो ऑफिसर थे उन्होंने कहा, कौन से रोहित से मिलना हैI उन्होंने दो नाम बताये बिडम्बना ये की जो higher official था मैंने उसी का नाम बताया और कहा की मेरा classmate हैI हमलोग उनलोगों को ऐसे ही बातों में फंसा रहे थे और थोड़ी दूर आगे तक जा के देख रहे थे की क्या है यहाँI तभी आये हमारे रोहित साहब मुझे पता नहीं था की इतनी जल्दी आ जायेगा I मैंने जल्दी से उसका हाथ पकड़ा और ले गयी एक साइड में ,मेरे दोस्त और वो रोहित भी नहीं समझ पाया की मैं करने क्या बाली हूँI मैंने उसे अपना नाम बताया और सारी बातें सच बताई की हमे museum देखना था इसलिए झूठ कहा थाI मैंने उसे sorry भी बोला और कहा की please किसी को ना बोलेI बहुत अच्छा इंसान था वो भी, थोडा सा मनाने के बाद मान गयाI चुकी वो कोई बहुत बड़ा ऑफिसर था वहाँ का तो उसके permission से गेट खुला और हम सभी स्टुडेंट्स Airforce Museum देख पाएI जाते वक़्त उससे मिलने गयी तो मैंने देखा कुछ map ले के और officers के साथ discuss कर रहा था की तभी किसी ने पूछा कौन है ये तो उसने जबाब दिया "she is my classmate, we are freinds actually" I जब उसने कहा Keep Smiling always, God bless u ever my friend तो बिदा लेते वक़्त लगा कोई अपना छुट रहा हैI उसने diary के पन्ने पे जो लिखा "Life is to live & enjoy. No matter what circumstances you are facing, so live it & enjoy its every moment " मन पे मानो अंकित हो गयाI
हमारा काफिला आगे बढ़ा और Elephanta fall की तरफ रबाना हुआ, पत्थरों से टकराती हुई इसकी सफ़ेद जलधारा गुच्छों का रूप धारण करती एक अलग ही मनमोहक छठा बिखेर रही थीI रात को हमलोग यूथ हॉस्टल पहुचे भूख तो लगी ही थी लेकिन जैसे ही देखा की cantene के आगे तीन चार मुर्गे छील के अलग अलग रंगों से रंगे टंगे हुए हैं, यक उलटी आ गयीI रात को ही शाकाहारी resturant ढूँढना शुरु हुआ पर इतनी जल्दी मिलने कहाँ बाला थाI ढूँढते - ढूँढते बहुत दूर निकल आये तभी एक resturant दिखा जो की शाकाहारी खाना order देने पे बनाता थाI वहाँ का जो मालिक था उसने रात को ही खाना बनबाना शुरु किया तब जा के कहीं पेट पूजा हो सकीI फिर रोज़ सुबह शाम हमलोग लाइन बनाकर खाना खाने जाया करते थे जैसे बचपन में रेलगाड़ी खेला करते थे ना बिलकुल वैसे हीI दूसरी सुबह चेरापूँजी के लिए निकलना था, रास्ते में हमने Dympep view point ,Nohkalikal Fall, Mawsmal cave देखा बड़ा ही सुकून आ रहा था, लगा माँ पापा भी साथ होतेI चेरापूँजी के रामकृष्ण मिशन आश्रम में जाकर लगा की रबिन्द्रनाथ टैगोर और बापू जीबित हो उठे हों कोई संगीत ना होते हुए भी मानो चरखो से आवाज़ आती हो,
" वैष्ण्ब जन ते तेने कहिये जे पीड़ परायी जाने रे" I
Khoh Ramhah एक ऐसी जगह थी जिसकी ऊंचाई से हिमालय की श्रीन्ख्लायें और बंगलादेश के मैदानी इलाके दिखते थे , लोगों ने
सरहदें तो बांटी पर प्रकृति ने अपनी अनोखी छठा दोनों देशो की धरती पर बनाये रखी हैI आगे Thankharang Park और Seven Sister Fall थाI सातों फाल सात सुरों को इंगित कर रहीं थी और सबका मिलन एक संगीत बना रहा थाI
यात्रा अपने अंतिम पडाब पर थी, बापसी बहुत ही निर्मम लग रही थी और मन में एक डर था की कल उन्ही उजड़ी हुई बस्तियों में बापस जाना हैI यूथ हॉस्टल छोड़ते वक़्त लगा इन्ही बिरानो में असली जिंदगानी हैI अपनी इन मधुर स्मृतियों को संजोये अपने सपनो की दुनिया से मैं बापस आ गयी, फिर उसी रटे-रटाये रंगमंच पर जहाँ कुछ अपने - कुछ पराये मेरा बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थेI

Saturday, April 4, 2009

Pane Arabiyata- A disastrous Cooking Experiment

मेरे घर के ठीक सामने बाले घर में पूजा रहती है , बहुत ही शुशील शभ्य और गुणवती लड़की है ऐसा मेरी माता जी मुझे रोज़ सुनाती हैंI ताने देने के अंदाज़ में कहती हैं" देखो तो बित्ते भर की लड़की है तुमसे छोटी है फिर भी सब काम आते है खाना भी बना लेती है , मेरा तो भाग्य ही ख़राब है"I तीन दिन बाद समझ आया की आखिर वो पूजा सारे काम कर लेती है तो माँ का भाग्य कैसे ख़राब है, वो ऐसे की उनकी नजर में मैं सिर्फ आवारागर्दी करती हूँ I यूँ तो रोज़ ही डाट खाती हूँ पर ये ताना कुछ जयादा ही लग गयाI मुझे भी खाना बनाने का खुमार चढ़ा , सोंचा कुछ different बनाउंगी, simple दाल चाबल सब्जी तो कोई भी बना लेता हैI उसकी थोड़े ही न कोई importance होती हैI आधा दिन यही सोंचते और ढूँढते निकल गया की आखिर बनाऊ तो बनाऊ क्या ? फिर तरकीब सूझी की अख़बार में तो हमेशा काफी खाना बनाने की बिधि निकलती रहती है, फिर क्या था सारे पुराने अख़बार निकाले और ढूँढने लगी कौन सी recipe सब से different हैI सब वही घिसे-पिटे नाम आलू टिक्का,पालक पनीर, शाही कोरमा,ब्रेड ढोकला,काजू बर्फी इत्यादिI कुछ अच्छा नहीं मिला तो पडोसी के यहाँ से दूसरा पुराना अख़बार भी ले आई, तभी मिली pane arabiyata बनाने की recipe I नाम पढ़ के ही मैं गद - गद हो गयी, क्या royal type recipe मिली हैI सोंचा रात को जब सब सो जायेंगे तो तब बनाउंगी और सुबह surprise दूंगी I
अपनी उस महीने की pocket money मैंने सारी की सारी ख़तम कर दी royal recipe के royal ingradients लाने मेंI फिर भी पैसे कम पड़ गए तो मैंने अपने छोटे भाई को अपनी तम्मना बताईI उसने भी finance किया और कहा किसी को मत बताना सुबह surprise देंगेI अब एक से भले दो हो गएI सारे ingredients ला के रख दिए हमने, फिर रात होने का इंतज़ार करने लगेI फिर 10 :30 बजे रात में सारी चीजें अपने ही रूम में लाकर अलग- अलग करने लगीI वही अख़बार निकाल लिया, लिखा था "4 मझोले आकर के प्याज काटें"I आधा ही प्याज कटा था की आँखों से गंगा जमुना बहने लगीI मिक्की मेरा छोटा भाई बगल में देख रहा था तो उसने मेरे हाथ से प्याज छीना और खुद ही काटने लगाI दूसरा प्याज भी हमलोगों ने काटना शुरु नहीं किया था की मिक्की भी प्याज के झांश से रोने लगाI बड़ी मासूमियत से कहता है " दीदी जो कट गया है उसी में काम चला लो न, मुझे लग रहा है बिना प्याज के भी बहुत अच्छा बनेगा "I मैंने कहा ख़राब हो जायेगा रे अच्छा बनाना है कुछ different, दोनों मिल के रोते-रोते प्याज काटने लगे कभी वो कटता तो कभी मैंI फिर बारी आई हरी मिर्ची काटने की वो तो बड़ी आसानी से कट गयी लेकिन उसके तीखेपन का अंदाज़ तब लगा जब गलती से मैंने अपनी ऑंखें छू लीI सोने पे सुहागा हो गया जब उन्ही हाथों से आँखों पे पानी डालने लगी, अब दोनों ऑंखें जल रही थीI फिर भी pane arabiyata बनाने का खुमार कम नहीं हुआI हमदोनो उसे ऐसे बनाने पे पड़े जैसे कोई जंग लड़ रहे होंI लिखा था पास्ता उबाले, पहली बार उबाल रही थी न तो लेई जैसा हो गया, उसे हटा कर दूसरा packet फिर से उबालाI रात के 12 :30 बज रहे थे और मैं जो dry fruits लाई थी वो पता नहीं कहाँ सामान में गुम हुआ की मिल ही नहीं रहा थाI फिर किचेन में रखा dry fruits डब्बा ही ढूँढने लगी, आधा घंटा वो ढूँढने में लगा पर मिल गयाI फिर बारी आई पनीर फ्राई करने कीI कभी सपने में भी नहीं सोंचा था की पनीर कढ़ाई में डांस भी करेगा, की अचानक से एक पनीर ने rock n roll किया और सीधे मेरे हाथ पे आ गया डांस करनेI कुछ कढ़ाई बाले तेल भी हाथ पे पड़ गएI जल्दी से हाथ पानी में डाला, मिक्की घर में अब burnol ढूँढने लगा मेरी आँखों से आँसू निकल रहे थे पर मिक्की को सख्त मना किया की अभी किसी को नहीं जगायेI फिर भाई ने बड़े प्यार से burnol लगाया और सलाह दी की अभी छोड़ दो कल बना लेना दीदीI मैंने कहा, गधे last moment में मैदान छोड़ के भागने की बात करता है हार के बाद ही तो जीत होती हैI तुमने burnol लगा दिया न पगले मुझे सच में बिलकुल नहीं जल रहा हैI ये pane arabiyata बनाना कोई war लड़ने से कम नहीं था मेरे लिएI धीरे-धीरे सारे ingradient जिस मात्रा में जिस आकार का जैसे अख़बार में दिया था वैसे ही डालने लगी और पकाती रहीI
हमदोनो की मेहनत रंग ला रही थी शायद, बहुत अच्छी खुशबू आ रही थीI रात के 2 बज चुके थे, हमदोनो को काफी नींद भी आ रही थीI लास्ट में अख़बार में लिखा था "पनीर डालने के बाद आधे घंटे तक धीमी आंच पर पकाएं"I भाई ने कहा दीदी मैं थोडा सा चख के देख लूँ I मैंने मना किया, पागल हो क्या तुम जा के अब सो जाओ मैं भी आधे घंटे के बाद सो जाउंगीI मेरा भाई पूछने लगा तो kitchen कब साफ करोगी, माँ डाटेगी नहीं? बड़ी ख़ुशी में मैंने बोला डाटेगी क्यूँ इतना अच्छा खाना भी तो बनाया न मैंने, कुछ नहीं बोलेगी तू जा के सो जाI मिक्की सोने चला गया और मै kitchen में ही कुर्सी पर बैठ के आधे घंटे पुरे होने का इंतज़ार करने लगीI कब आँख लग गयी मेरी कुछ पता ही नहीं चला और ऑंखें खुली कुछ जलने की बू से,गैस पे चढ़ी कढ़ाई देखी मैंने तो दिल जल गया सारी की सारी pane arabiyata सुख कर कढ़ाई में राख हो गयी थीI
दुनिया उजड़ चुकी थी और कढ़ाई धोने kitchen साफ करने की हिम्मत नहीं बची थी मुझमेI धीरे से मिक्की को जा के जगाया मैंने, उठते के साथ उसने पूछा बन गया मैं कुछ नहीं बोल सकी और उसे kitchen में कढ़ाई दिखा दीI हमदोनो एक दुसरे को ऐसे देख रहे थे जैसे गा रहे हों " ये क्या हुआ कैसे हुआ कब हुआ ओ छोड़ो ये न सोंचो " पर सोंचना तो पड़ता ही है kitchen जो साफ नहीं थाI कढ़ाई का जो हाल मैंने किया था सुबह डाट नहीं लात खाने की नौबत थीI गैस जो रात भर जले वो अलग, हाथ जो जला था वो तो याद ही नहीं थाI छुरी से खखोर-खखोर के हमने कढ़ाई साफ की, उस दिन जाना की बर्तन धोने में कितनी मेहनत लगती है और हमलोग बेबजह ही गन्दा करते हैI दुसरे दिन कॉलेज में सिर्फ जम्हाइया ही लेती रही अंततः girls common room में जा के सो गयीI तभी मेरी एक दोस्त आई और हाथ पकड़ के क्लास ले जाने लगी, उसने वहीं पकड़ा जहाँ रात को जला थाI रात की जो चीख दबी थी वो निकली एकदम सेI वो डर गयी पूछा क्या हुआ मैं बस इतना ही बोल सकी "pane arabiyata" I मेरी दोस्त मुझे क्लास रूम की तरफ ले जाती हुई pane arabiyata समझने की कोशिश कर रही थीI मुझे हँसी आ रही थी क्यूँ की हाथ जो जला था वहाँ गोल चाँद के आकार का जला थाI इस disasterous cooking experiment ने कुछ अच्छे पल दिए और ये समझ दी की किसी से इर्ष्या करना मतलब अपना ही बुरा करना होता हैI माँ की अभी भी वही आदत है कल ही कह रही थी "देखो तो सोनिया के जॉब हो गया कितनी अच्छी लड़की है .........................." माँ बोले जा रही थी पर उस great accident के बाद कुछ भी किसी के बारे में बोलती है तो मुझे सुनाई नहीं देता I कोई प्रधान मंत्री ही क्यूँ न हो जाये उसके लिए मैं अपना हाथ थोड़े ही जला लुंगी I