Sunday, May 31, 2009

स्वप्निल यादें - The Journey Of Dreamland

एक यादगार सुबह हमेशा के लिए मेरी मनोस्मृति पर अंकित हो गयीI ये वो दिन था जब मैं पहली बार पटना से बाहर university की तरफ से educational trip के लिए गयी थीI यह किसी हिल स्टेशन की मेरी पहली यात्रा थी, इसलिए यात्रा का हरेक क्षण मेरे लिए रोमांचक थाI हम Patna science college के 24 students अपने दो Professors के साथ घुमने जा रहे थेI हम सभी के अभिभाबक सुबह के 4 :00 बजे आँखों को मिंजते हुए पटना रेलवे स्टेशन तक छोड़ने आये I कुछ ही देर में ट्रेन ने अपनी रफ़्तार पकड़ी और हम निकल पड़े एक सपनो के शहर शिलोंग के लिए I दूसरी सुबह चार बजे जब ऑंखें खुली तो हम Assam पहुच चुके थेI
ब्रह्मपुत्र नदी अपने पुरे उफान पे थी लग रहा था जैसे हमारे ही स्वागत के लिए सदियों से इंतज़ार कर रही होI Assam की राजधानी गुवाहाटी लगा जैसे अपने शहर पटना सा ही है वहाँ हमने माँ कामख्या के दर्शन कियेI घंटियाँ इतनी सुर ताल में बज रही थी मानो एक सुखद संदेशे की आहटे दे रहीं होंI अगले दिन शिलाँग की यात्रा बस से तय करनी थी, मेघालय बोर्डर चेक पोस्ट पास करते ही khasi and Garo hill दिख रहा था, और मेरी कल्पनाओं का कोष खुलने लगा I

बस ऊँचे नीचे रास्तों पर चढ़ने उतरने लगी कभी सांप की काया की तरह सड़क मुड जाती थी, तो कभी अंग्रेजी के अक्षर V और U की तरह अचानक से मोड़ आ जाता थाI उस पल लगा जैसे जिंदगी में भी खूबसूरत मोड़ आया है, इस सुहानी सी वादियों से रूबरू होने का, सच्चे अर्थों में प्रकृति को जानने का उसे घंटों निहारने का .................I
पहाड़ों की गोद में घरोंदों जैसे छोटे-छोटे घरों को देख कर लगता मानो यहाँ अपना भी कोई आशियाना होताI हमारा कारवां यूथ हॉस्टल में रुका और फिर दुसरे दिन एक नई सुबह के साथ हमें नए लोगो से मिलने का ,शिलाँग को करीब से जानने का मौका मिलाI शिलाँग की खूबसूरत सी झील Ward's Lake जहाँ पानी इतना साफ़ था की अन्दर से तैरती मछलियाँ नजर आतीI रंगबिरंगी चिड़ियों का झुण्ड जब एक साथ उड़ता तो मन पुलकित हो जाता I शिलाँग से आठ किलोमीटर दूर Bishop Beadon Fall को देखकर ऐसा लग रहा था मानो पेंसिल के आकार के एक मोटे water pipe से 200 फीट नीचे पानी गिर रहा हैI
"शिलाँग पीक" अपने नाम के अनुरूप ही एहसास करा रहा था, लग रहा था की धरती पर सारी आकाशगंगा यहीं सिमट के आ गयीं होI लोगों से पता चला की हरेक बसंत में यहाँ के निवासी इस पीक पर शिलाँग के देवता की पूजा करते है I
रास्ते में Airforce Museum था जो की बंद था लेकिन हमलोग कहाँ मानने बाले थेI मैं और कुछ दोस्त baricading फलांग के अन्दर पहुँचे I वहाँ पहरेदारी कर रहे ऑफिसर लोगों से बात की तो वो Museum में एंट्री के लिए मान नहीं रहे थेI फिर बिहारी फ़ॉर्मूला try किया ,मैंने यूँ ही बोल दिया की एक रोहित हमारा दोस्त है, आप उसको बुलाइए atleast उससे तो मिल के ही जायेंगेI मुझे यकिन नहीं था की रोहित नाम का भी ऑफिसर होगाI वहाँ पे जो ऑफिसर थे उन्होंने कहा, कौन से रोहित से मिलना हैI उन्होंने दो नाम बताये बिडम्बना ये की जो higher official था मैंने उसी का नाम बताया और कहा की मेरा classmate हैI हमलोग उनलोगों को ऐसे ही बातों में फंसा रहे थे और थोड़ी दूर आगे तक जा के देख रहे थे की क्या है यहाँI तभी आये हमारे रोहित साहब मुझे पता नहीं था की इतनी जल्दी आ जायेगा I मैंने जल्दी से उसका हाथ पकड़ा और ले गयी एक साइड में ,मेरे दोस्त और वो रोहित भी नहीं समझ पाया की मैं करने क्या बाली हूँI मैंने उसे अपना नाम बताया और सारी बातें सच बताई की हमे museum देखना था इसलिए झूठ कहा थाI मैंने उसे sorry भी बोला और कहा की please किसी को ना बोलेI बहुत अच्छा इंसान था वो भी, थोडा सा मनाने के बाद मान गयाI चुकी वो कोई बहुत बड़ा ऑफिसर था वहाँ का तो उसके permission से गेट खुला और हम सभी स्टुडेंट्स Airforce Museum देख पाएI जाते वक़्त उससे मिलने गयी तो मैंने देखा कुछ map ले के और officers के साथ discuss कर रहा था की तभी किसी ने पूछा कौन है ये तो उसने जबाब दिया "she is my classmate, we are freinds actually" I जब उसने कहा Keep Smiling always, God bless u ever my friend तो बिदा लेते वक़्त लगा कोई अपना छुट रहा हैI उसने diary के पन्ने पे जो लिखा "Life is to live & enjoy. No matter what circumstances you are facing, so live it & enjoy its every moment " मन पे मानो अंकित हो गयाI
हमारा काफिला आगे बढ़ा और Elephanta fall की तरफ रबाना हुआ, पत्थरों से टकराती हुई इसकी सफ़ेद जलधारा गुच्छों का रूप धारण करती एक अलग ही मनमोहक छठा बिखेर रही थीI रात को हमलोग यूथ हॉस्टल पहुचे भूख तो लगी ही थी लेकिन जैसे ही देखा की cantene के आगे तीन चार मुर्गे छील के अलग अलग रंगों से रंगे टंगे हुए हैं, यक उलटी आ गयीI रात को ही शाकाहारी resturant ढूँढना शुरु हुआ पर इतनी जल्दी मिलने कहाँ बाला थाI ढूँढते - ढूँढते बहुत दूर निकल आये तभी एक resturant दिखा जो की शाकाहारी खाना order देने पे बनाता थाI वहाँ का जो मालिक था उसने रात को ही खाना बनबाना शुरु किया तब जा के कहीं पेट पूजा हो सकीI फिर रोज़ सुबह शाम हमलोग लाइन बनाकर खाना खाने जाया करते थे जैसे बचपन में रेलगाड़ी खेला करते थे ना बिलकुल वैसे हीI दूसरी सुबह चेरापूँजी के लिए निकलना था, रास्ते में हमने Dympep view point ,Nohkalikal Fall, Mawsmal cave देखा बड़ा ही सुकून आ रहा था, लगा माँ पापा भी साथ होतेI चेरापूँजी के रामकृष्ण मिशन आश्रम में जाकर लगा की रबिन्द्रनाथ टैगोर और बापू जीबित हो उठे हों कोई संगीत ना होते हुए भी मानो चरखो से आवाज़ आती हो,
" वैष्ण्ब जन ते तेने कहिये जे पीड़ परायी जाने रे" I
Khoh Ramhah एक ऐसी जगह थी जिसकी ऊंचाई से हिमालय की श्रीन्ख्लायें और बंगलादेश के मैदानी इलाके दिखते थे , लोगों ने
सरहदें तो बांटी पर प्रकृति ने अपनी अनोखी छठा दोनों देशो की धरती पर बनाये रखी हैI आगे Thankharang Park और Seven Sister Fall थाI सातों फाल सात सुरों को इंगित कर रहीं थी और सबका मिलन एक संगीत बना रहा थाI
यात्रा अपने अंतिम पडाब पर थी, बापसी बहुत ही निर्मम लग रही थी और मन में एक डर था की कल उन्ही उजड़ी हुई बस्तियों में बापस जाना हैI यूथ हॉस्टल छोड़ते वक़्त लगा इन्ही बिरानो में असली जिंदगानी हैI अपनी इन मधुर स्मृतियों को संजोये अपने सपनो की दुनिया से मैं बापस आ गयी, फिर उसी रटे-रटाये रंगमंच पर जहाँ कुछ अपने - कुछ पराये मेरा बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थेI

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