Thursday, September 3, 2009

जरूरत है एक श्रीमती की................


नानी माँ बताती थी की संसार के सृष्टीकर्ता ब्रह्मा जी ने पहले ही सारी जोड़िया बना रखी हैI पहली जोड़ी जो उन्होंने बनायीं थी वो मनु और श्रद्धारूपा की थीI नर और नारी सृष्टी का अभिन्न स्वरुप है नारी का रोल ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि नारी नारायणी है जिससे सारी सृष्टी चलती हैI आजकल का scene थोडा अलग है, मन लाखों सवाल करता है की क्या लोगों ने आज की नारी को नारायणी रहने दिया है क्या सचमुच अर्धांगिनी स्वरूपा उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी आदि काल में थीI
आजकल लोगों को ऐसी श्रीमती चाहिए जो लक्ष्मी ले कर आये, सरस्वती का स्वरुप हो पर दुर्गा जी की तरह प्रचंड ना हो , भला ऐसा हो सकता है क्या जहाँ लक्ष्मी सरस्वती हों वहाँ दुर्गा जी का निवास नहीं होI खैर आजकल की श्रीमती में कम से कम शु बाले सारे लक्षण होने चाहियें जैसे सुन्दर शुशील सुलक्षण सुलभा और पता नहीं क्या क्याI वेद पुराणों से पता चलता है की पहले स्वयंबर हुआ करता था, माने Love + Arrange marriage का combination I और वर जो होते थे यानी grooms को मछली की ऑंखें फोड़नी पड़ती थी, धनुष तोड़ना होता था बहुत ही simple simple काम यारI कम से कम लोगो को अपने जीवनसाथी चुनने का हक हुआ करता था पर आजकल के वरों का सर फूटता है और बधू तो बस " Daughter OF Shame" बन के रह जाती है और कुछ जो इस तरह की बेफजूल बातों में सर नहीं खपाती या सीधी होती है वो " Daughter Of Flame " हो जाती है यानी की जला दी जाती हैI
गलती नर या नारी की नहीं, उस समाज की है जहाँ पे हम रहते हैं, और दहेज़ अपहरण बाल बिबाह जैसी कुरीतियाँ धर्म और संस्कार के आड़ में मानवीय मूल्यों का हनन करती हैI चूँकि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है (मैंने नहीं अरस्तु ने कहा है) इसलिए हमे इसकी अच्छाई और बुराई मजबूरन दोनों स्वीकार करनी पड़ती हैI ऐसा इसलिए क्योंकि ये समाज भी तो हमारा है सारी कुरीतियाँ जो है वो कहीं ना कहीं हमने ही तो बनाई हैI
समाज के ठेकेदारों के हिसाब से शादी करना बहुत ही important है, जो नहीं करता उसे नरक में स्थान मिलता हैI कभी- कभी सोंचती हूँ जो शादी कर लेते होंगे वो तो सीधे स्वर्ग का टिकेट कटाते होंगे पर जिनकी शादी हो चुकी है उनसे जाके अगर पूछेंगे तो यही कहेंगे की नहीं करनी चाहिएI उनलोगों को ये भी ख्याल होता है की मैं जब बर्बाद हो चुकी/ चूका हूँ तो सामने बाला क्यूँ नहीं, कम से कम एक दिन बर्बादी का जश्न तो मनाएंगेI खैर मैं तो मनचली बंजारन ठहरी अगर यहाँ ये सोंचुंगी तो जिंदगी ठहर सी जाएगी समाज से अपना कोई खास लेना देना है नहीं ये माँ और पापा भी जानते थेI पर समाज के हिसाब से मैं अब बड़ी हो गयी हूँ और मुझे भी श्रीमती होना चाहिएI रविवार को कुछ ज्यादा ही आवारागर्दी करती हूँ सुबह को निकलो तो शाम को ही लौटना होता है पर समाज के कुछ हिमायती लोग कहाँ चुप बैठने बाले हैं, दिमाग में तो कीड़ा बुलता रहता है, और एक दिन समाज के कीड़े ने माँ- पापा को भी अपनी चपेट में ले लियाI
एक रविवार as usual निकलने ही बाली थी की माँ ने कहा आज जींस पहन के मत जाओ, जींस बहुत गन्दा हो गया है धोने के लिए डालना है सलवार कमीज पहन लोI चूँकि माँ से बहस करना मतलब दिवार में सर मारना बराबर है(क्योंकि हमेशा वोहीं जीतती है) तो मैंने उनकी आज्ञा मन लीI सुबह कुछ पता नहीं था की आज मेरा श्रीमती कार्यक्रम का मिसाइल launch होने बाला हैI 11 बजे माँ का फ़ोन आया की हनुमान मंदिर चले आओ मैं वहीं हूँ, साथ में घर चलेंगेI नानी रामायण सुनाया करती थी और बताया था की अपनी माता के कहने पर राम जी बनबास चले गए थे तो क्या मैं हनुमान मंदिर नहीं जातीI जाते ही पता चल गया की पूरी दाल काली है, और ये जो दाल मेरे लिए लाई गयी है मेरे प्रिय जीजा जी का कारनामा हैI अगर माँ पापा का ख्याल नहीं होता तो एक सेकंड भी नहीं रूकतीI माँ पापा मेरे गुस्से बाले तेबर से थोडा परेशान थे ,जानते थे की मैं कुछ भी बोल सकती हूँ इसीलिए कसम दे दी की कुछ मत बोलनाI अपना अमोघ अस्त्र यही था जो माँ ने गलती से मुझे कसम दे दियाI वैसे भी "रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाये पर बचन ना जाई"I मंदिर के basement में दर्शन के पहले हाथ पैर धोने का रीबाज है, लोग ऐसे हाथ पैर धोने में पानी बर्बाद करते है जैसे जन्मो का पाप यहीं धोने की कोशिश में लगे होंI दो लोग मेरे बगल में ही छई - छपाक करते हुए हाथ पैर धो रहे थेI वो कुछ ज्यादा ही अपने आप को शुद्ध करने की कोशिश में लगे हुए थेI जब दो चार बार मुझे पड़ गया तो मुझसे रहा नहीं गयाI माँ ने बोलने की कसम दी थी, हाथ पैर नहीं चलाने की कसम थोड़े ही दी थीI मैंने दोनों हाथों में भर-भर के पानी लिया और अपने आप पे ऐसे डालने लगी की सारी की सारी उनलोगों को पड़ रही थीI दोनों तमतमाए हुए बेसमेंट से कुछ बडबडाते हुए निकल गएI
मंदिर के तीसरे तल्ले पे गयी तो देखा काफी लोगों का interview session चल रहा हैI लोग पास होने का सोंचते हैं मैं फेल होने का सोंच रही थीI हनुमान जी को प्रलोभन दिया की प्लीज हनुमान जी फेल करा दीजिये तो एक लड्डू conferm है आपकाI धीरे-धीरे कार्यक्रम आगे बढ़ाI अजीब interview था, पास कराने के लिए काफी लोग थे माँ पापा , दीदी जीजा जी, छोटी माँ छोटे पापा, पड़ोस की आंटी जी इत्यादि ,पर मुझे फेल होना थाI लड़के बालों में वो दो लोग भी थे जिन्हें थोड़ी देर पहले भींगा चुकी थीI वो लोग देख के shocked रह गए और मैं मुस्कराने लगी, वाह रे मेरे हनुमानाI सबालो पे सवाल missile की तरह दागे जा रहे थे पर मुझे तो कुछ बोलना ही नहीं था इसलिए कोई उत्तर नहीं दे रही थी, माँ ने कसम जो दे रखी थीI तभी लड़के बालों ने पूछा लड़की गूंगी है क्या????? जीजा जी बड़ी सफाई से मुझे बचाते हुए कहते है "नहीं जी लड़की तो गौ है ,बहुत शुशील है मेरी गुडिया" (मैं सोंचे जा रही थी की बेचारी गौ की इतनी तौहीन हे भगवान इतने झूठ क्यूँ बुलवा रहे हो इनलोगों से)I माँ कुछ ही छनों में गुस्से से लाल पिली तमतमाती हुई मेरे बगल में धीरे से बोलती है "बोल क्यूँ नहीं रही हो"I मैंने उनकी कसम उन्हें ही याद दिलाई, बिलकुल वैसे ही जैसे जामवंत जी लंका पार करने के लिए हनुमान जी को उनका बल याद कराते हैंI माँ ने जल्दी से कसम बापस ली फिर क्या था, thethrology में तो अपन ने P.H.D. कियेला है बीरूI फिर से interview session चालू ,
प्रश्न : आपके पिता जी का नाम क्या है??
उत्तर: मूड आया बोल दूँ अबे हलकट lollypop question पूछता है, फिर मुस्कुराते हुए पापा का सिर्फ नाम ही बतायाI
प्रश्न : खाना बनाना जानती है ??
उत्तर: हाँ Maggy बनानी आती है न (उन लोगो के face पे expression देखने लायक था)
प्रश्न : Maggy के अलावा भी कुछ बनाना आता है या नहीं एक lady ने पूछा? (की तभी छोटी माँ बोलती है हा आता है ना सभी चीजें बना लेती है)
उत्तर : हाँ और भी चीजें बनाती हूँ जैसे की रोटी पर जली हुईI
प्रश्न :(मुस्कुरा रहे थे वो लोग भी) फिर एक पूछता है Non -vegetarian खाना बना लेती हैं की नहीं?
उत्तर: दिमाग ख़राब है क्या आपका! हमारे यहाँ छुते भी नहीं है, और जो भी खा कर आता है वो नहाने के बाद ही घर में एंट्री करता है (मेरी तरफ बाले सब मुझे बिस्मीत निग़ाहों से घूरने लगे)
की तभी मेरी नजर वहाँ पे रखी स्वीट्स पे पड़ीI माँ को बोला भी धीरे से मैंने की भूख लगी है पर कौन सुनता है अभीI
प्रश्न : शादी के बाद जॉब करेंगी या नहीं ??
उत्तर : क्यूँ नहीं करुँगी मुझे जलना थोड़े ही है, जो आत्मनिभर नहीं होती उन्हें लोग जला भी देते हैं, वैसे भी अगर जॉब नहीं करना होता तो बिलकुल भी पढाई नहीं करतीI
प्रश्न : What is your educational Qualification ?
उत्तर : I have done Graduation in Science From Patna Science College, Done PG in Banking, Financial Services & insurance From ICFAI University & persuing Fellowship in Insurance From Insurance Institute Of India, Mumbai. ( उनलोगों को शायद यकिन नहीं आ रहा था मेरी qualification पे उसके बाद education पे किसी ने चर्चा ही नहीं की)
एक तो भूख लगी थी कोई मेरे खाने पे ध्यान नहीं दे रहा था और उनलोगों को कोल्ड्रिंक पे कोल्ड्रिंक पूछी जा रही थीI मुझे कोई तरकीब नहीं सूझी तो मैंने उन लोगो की तरफ से जो महिला आई हुई थी उनसे पूछा "मैं भी एक स्वीट्स ले लू भूख लगी है", मैंने खाते हुए ही पूछा की मैं भी कुछ प्रश्न पूछना चाहती हूँ ( सब मेरी तरफ ऐसे देख रहे थे जैसे कोई अजूबा कह दिया हो क्योंकि लड़कियों को कुछ भी पूछने की इजाजत नहीं है इस समाज में, चाहे वो कितनी ही पढ़ी लिखी क्यों ना हों,की तभी उनमे से एक महिला ने कहा: हाँ पूछो, सम्भब्तः वो लड़के की माँ थी)
प्रश्न : लड़के की पाँच बुराइयाँ बताइए ? ( दोनों तरफ के लोग ऐसे चौंके जैसे मैंने अभी-अभी हिरोशिमा पे परमाणु बम डाल दिया हो, जीजा जी उठ के कहाँ चले गए मुझे पता नहीं, मैंने फिर उन्हें समझाया भी की इसलिए पूछ रही हूँ की अच्छाइयों के साथ तो कोई भी रह लेता है पर बुराईओं से ताल मेल बिठाना काफी मुश्किल होता हैI सब मेरी अच्छाई पूछ रहे हो आप लोग पर मैं बहुत बुरी भी हूँ नहीं यकिन होता है तो आप माँ से पूछ लो मैं रोज़ डांट खाती हूँI)
अब रिजल्ट की बारी थी, रिजल्ट उदघोसना तक सभा स्थगित की गयीI मंदिर बहुत खूबसूरत था मैंने पहले नहीं देखा था सो मै मंदिर के दूसरी तरफ घूमने लगीI एक जगह बड़ी सी शंकर-पार्वती की खूबसूरत मूर्ति थी की तभी देखा मैंने कुछ स्त्रियाँ एक लड़की से Cat Walk करा रही थीI मन विचलित तो तब हो गया जब उन लोगो ने उसके हाथ पैर देखने शुरु किये, ऐसी ओछी मानसिकता पहली बार देखी थी न मैंने, दंग रह गयीI उस लड़की की मासूमीयत छीनी जा रही थी, कोई14 -15 साल की रही होगी वोI हे भगवान! स्त्रिया ही स्त्री का छिछा - लेदर कर रही थीI लोग पत्थरों को पूजते हैं और इंसानों को ठोकरे मारते हैं अजीब स्थिति हैI
मैं दूसरी तरफ देखने लगी तो देखा की कुछ बुद्धिजीबी लोग तोल- भाव कर रहे थे, एक आदमी कह रहा था " इंजिनियर लैयका के 2 लाख में हथियाबे ला चाहः हथिन एते में तो ऑटो बाला भी न ऐयिते"I लड़के के हिसाब से रेट्स थे, डॉक्टर 10 लाख, इंजिनियर 8 लाख, I.A.S/I.P.S 20 लाख इत्यादिI जिंतनी खूबसूरत मूर्तियाँ वहाँ लगी थी उतनी ही बदसूरत हमारे समाज का भयानक चेहरा दिख रहा थाI
" नर नारायण का स्वरुप होता है ऐसा नानी माँ कहती थी, अपने नारायण की कोई इस तरह बोली लगाता है भला, इस हिसाब से तो ये लगता है की लडको की स्थिति लड़कियों से ज्यादा बुरी है क्यूंकि लड़की बालो के पास चुनने का आप्शन है पर लडको के पास कोई आप्शन नहींI जो ऊँची बोली लगायेंगे उतने में बिकेगा, यही सोंचे जा रही थी मैं "
दूसरी और रुख किया तो देखा लोग कुछ ज्यादा ही चतुराई दिखा रहे थे, दहेज़ नहीं मांग रहे थे पर ये कह रहे थे की " अपनी लड़की की सुबिधा का ख्याल रखियेगा न सर, कार , फ्रिज, ए.सी. ये सब तो जरूरत का सामान है कैसे नहीं देंगे"I अनायास ही हँसी आ गयी लगा कैसे कोई अपनी बेटी को ऐसे घर में डालता होगा जहाँ वो सुख सुबिधाये नहीं है जो उसने बचपन से पायी हैं और अगर वर पक्ष के पास ये सारी चीजें है तो मांगने की क्या जरूरत है यारI हद भिखमंगी है यहाँ तो, हक से भीख मांगते हैं लोगI
हिरोशिमा का जो परमाणु बम मैंने कुछ देर पहले फोड़ा था वो नागासाकी का परमाणु बम बन के मेरे ही उपर आ गिराI जब पता चला की लड़के की माँ ने ओके कर दिया है, मैंने तनिक भी देरी नहीं की हनुमान जी की लड्डू की मात्रा 1 लड्डू से 1 किलो कर दीI और प्रार्थना की प्लीज हनुमान जी ये क्या कर रहे हो आपको तो फेल कराना है आप पास करबा रहे होI इश्वर ने मेरी सुन ली,पता नहीं कैसे बात दुसरे दिन तक टल गयी I दुसरे दिन सब का मुह उतर गया जब पता चला की लड़के को फोटो पसंद नहीं आई उसे खूबसूरत गोरी लड़की चाहिएI मैं खुश हो गयी दुसरे ही दिन मंदिर गयी और हनुमान जी को १ किलो लड्डू चढ़ायाI जब प्रसाद ले के घर आई तो पापा ने पूछा किस चीज का प्रसाद बाँटा जा रहा हैI मैंने बता दिया की ऐसी- ऐसी मन्नत मांगी थीI मुस्कुरा के पापा मेरी ओर देखने लगे और कहने लगे बिलकुल ही पगली होI फिर अचानक से पुछा गुडिया कोई लड़का तुम्हे अच्छा लगता है तो बता दो मैं बात करूँगाI कुछ दोस्त जिनके फ़ोन आया करते थे उनके नाम भी गिना दिये उन्होंनेI मैंने बताया उन्हें की एक जो मुझे अच्छा लगता है उसकी शादी पिछले हफ्ते हो गयी और तो कोई मेरे टाइप का मुझे नहीं लगता, तो माँ पीछे से तमतमाती हुई आईI बोली बिगाड़ दो बेटी को, तुम दोनों बाप- बेटी मुझे पागल बना के छोड़ोगे, आखिर कौन से टाइप का चाहिए, कोई इन्द्रासन से नहीं टपकने बाला है!!!!!! बहस कर नहीं सकती थी सो बस इतना ही कह पायी की "माँ ऐसा टाइप का होना चाहिए जो कभी मैं रूठू तो पापा की तरह मना के अपने हाथों से खाना खिला दे और जो कभी बीमार पडू तो तुम्हारी तरह रातों को जागकर, डांट- डांट के जबरदस्ती दवाईयाँ देता रहे और नजरें उतारे"I माँ निरुत्तर थी , काश की इस जहाँ में कोई ऐसा हो जिसकी मैं श्रीमती बन सकूँI

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